कोवैक्सीन ट्रायल डोज लेने के 9 दिन बाद वॉलंटियर की हुई मौत, भारत बयोटेक ने दी सफाई

भोपाल मध्य प्रदेश
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भोपाल- नई दिल्ली, 09 जनवरी (ए)। भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में 12 दिसंबर को कोवैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल के दौरान टीका लगवाने के नौ दिन बाद 42 वर्षीय वॉलंटियर दीपक मरावी की मौत हो गई। इससे हड़कंप मच गया है। हालांकि, कुलपति डॉ. राजेश कपूर का कहना है कि मौत के कारणों का सही से पता विसरा जांच के बाद ही चल पाएगा। मरावी टीला जमालपुरा स्थित सूबेदार कॉलोनी में अपने घर में मृत पाए गए थे। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। वहीं इस पर वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने भी अपनी सफाई दी और कहा कि ट्रायल के दौरान सभी प्रक्रियाओं का सही से पालन किया गया और टीका लगने के अगले सात दिनों तक वॉलंटियर की निगरानी भी की गई थी।
वहीं, मध्य प्रदेश मेडिको लीगल इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि 22 दिसंबर को पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के अनुसार प्रारंभिक जांच में दीपक के शरीर में जहर की पुष्टि हुई है। मौत कोवैक्सीन का टीका लगवाने से हुई या किसी अन्य कारण से, इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम की अंतिम रिपोर्ट आने के बाद होगी। दीपक के शव का विसरा पुलिस को सौंप दिया गया है। पुलिस विसरे का केमिकल परीक्षण कराएगी। गौरतलब है कि भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाई गई स्वदेशी कोरोना वैक्सीन (कोवैक्सीन) का 7 जनवरी को अंतिम ट्रायल पूरा हुआ है।
जानकारी के मुताबिक, आदिवासी परिवार से आने वाले दीपक मरावी के बेटे आकाश ने पुलिस को बताया कि पिताजी को 19 दिसंबर को अचानक घबराहट, बेचैनी, जी मिचलाने के साथ उल्टियां होने लगीं। 17 दिसंबर को कंधे में दर्द भी हुआ था, लेकिन, उन्होंने इसे सामान्य बीमारी समझकर इलाज नहीं कराया। आकाश के मुताबिक, डोज लगवाने के बाद से पिता ने मजदूरी पर जाना बंद कर दिया था, वे कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर रहे थे। आकाश ने बताया, पिताजी की सेहत 19 दिसंबर को बिगड़ी थी और 21 दिसंबर को उनका निधन हुआ। उस वक्त वे घर में अकेले थे। मां काम से बाहर गई थी और छोटा भाई बाहर खेल रहा था। अगले दिन सुभाष नगर विश्राम घाट पर हमने उनका अंतिम संस्कार कर दिया।
आकाश ने बताया कि डोज लगवाने के बाद सेहत का हाल जानने अस्पताल से फोन आते रहे। 21 दिसंबर को पिताजी के निधन की जानकारी लेने पीपुल्स प्रबंधन से तीन बार फोन आए, लेकिन संस्थान से कोई भी नहीं आया। पिताजी भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित भी थे।
डॉ. राजेश कपूर ने दावा किया कि ट्रायल दीपक की मर्जी के बाद ही हुआ। साथ ही ट्रायल के दौरान अस्पताल ने पूरी प्रक्रिया का पालन किया। 21 दिसंबर को दीपक की मौत के बाद हमने भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल और वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक को घटना की सूचना दी थी। वैक्सीन लगाने के बाद आधे घंटे तक दीपक का परीक्षण भी किया गया था। यही नहीं, सात से आठ दिन तक दीपक के स्वास्थ्य का ध्यान भी रखा गया था।
भारत बायोटेक ने कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार टीका ‘कोवैक्सीन’ के तीसरे ट्रायल के दौरान एक वॉलंटियर की मौत पर शनिवार को अपनी ओर से बयान जारी करते हुए कहा कि तीसरे चरण के परीक्षण में 21 दिसंबर, 2020 को पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर में एक वॉलंटियर की मौत हो गई थी। बायोटेक ने कहा, “रजिस्ट्रेशन के वक्त वॉलंटियर ने तीसरे चरण से जुड़ी सभी औपचारिकताओं को पूरा किया था और टीका लेने के अगले सात दिनों तक उसके सेहत पर निगरानी रखी गई थी। इस दौरान उसके साथ किसी भी तरह की कोई परेशानी सामने नहीं आई।” वैक्सीन निर्माता कंपनी ने आगे अपने बयान में कहा कि भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज द्वारा जारी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह आशंका जताई गई है कि वॉलंटियर की मौत जहर की वजह से हुई है।(साभार भाषा)