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अस्पतालों में मौत : अदालत ने लिया स्वत: संज्ञान, कहा- बिस्तर, दवाओं की कमी जैसे कारण स्वीकार्य नहीं

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मुंबई, चार अक्टूबर (ए) बंबई उच्च न्यायालय ने नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में हुई मौतों पर बुधवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि बिस्तर, कर्मियों और दवाओं की कमी जैसे बताए गए कारण स्वीकार्य नहीं हैं।.

अदालत ने इसके साथ ही महाराष्ट्र सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की।.मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ को निर्देश दिया कि वह स्वास्थ्य पर खर्च के लिए बजट में आवंटित राशि की विस्तृत जानकारी शुक्रवार को पेश करें।इससे पहले दिन में अधिवक्ता मोहित खन्ना ने पीठ को दी अर्जी में अनुरोध किया था कि वह सरकारी अस्पतालों में हुई मौतों पर स्वत: संज्ञान ले।

पीठ ने शुरुआत में खन्ना को निर्देश दिया कि वह याचिका दायर करे। अदालत ने कहा कि वह प्रभावी आदेश जारी करना चाहती है। अदालत ने इसके साथ ही अधिवक्ता से कहा कि वह अस्पतालों में रिक्तियों, दवाओं की उपलब्धता, सरकार द्वारा खर्च की जाने वाली राशि आदि की जानकारी एकत्र करें।

हालांकि, दोपहर में अदालत ने कहा कि वह मामले पर स्वत: संज्ञान ले रही है और रेखांकित किया कि अस्पतालों के चिकित्सकों ने बिस्तर, कर्मियों और दवाओं की कमी को कारण बताया है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा, ‘‘अगर कर्मचारियों, आवश्यक दवाओं और बिस्तर की कमी जैसे कारणों से मौत हो रही हैं तो इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।’’

सराफ ने पीठ से कहा कि वह मामले से जुड़ी विस्तृत जानकारी अदालत में जमा करेंगे।

उच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।

खन्ना ने अपनी अर्जी में कहा कि 48 घंटे में नांदेड़ के डॉ. शंकर राव चव्हाण शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में नवजातों सहित कुल 31 लोगों की मौत हुई थी।

अर्जी में कहा गया कि छत्रपति संभाजीनगर के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में दो से तीन अक्टूबर के बीच नवजातों सहित 18 मरीजों की मौत दर्ज की गई थी।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को कहा था कि उनकी सरकार ने नांदेड़ के अस्पताल में हुई मौतों को बहुत ही गंभीरता से लिया है और विस्तृत जांच रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अस्पताल में दवा एवं कर्मियों की कमी से भी इनकार किया है।

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