गाजीपुर,14 अक्टूबर (ए)। उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने गुरुवार 13 अक्टूबर 2022 को कड़ा रुख अपनाते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश को निर्देशित किया है कि उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति गठित कर 15 नवंबर 2022 को न्यायालय को सूचित करें।
यह जानकारी वरिष्ठ पत्रकार डा.ए.के.राय ने देते हुए बताया कि इस प्रकरण को उ. प्र. सूचना विभाग लगभग 28 महीनों से लटकाये रखा है जिस पर मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अपने तल्ख तेवर दिखाते हुए समिति गठित कर न्यायालय में सूचित करने को आदेशित किया है।
उल्लेखनीय है कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उ.प्र. द्वारा दिनांक 16 जून 2020 को प्रेस मान्यता समिति गठित करने के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। उसके संदर्भ में प्रदेश के कई लोगों के साथ पत्रकारो के मान सम्मान एवं उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) ने भी उक्त समिति के गठन के लिए दावा किया था। उक्त समिति के गठन में हो रही देरी के सम्बन्ध में ऐप्रवा की ओर से मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के आला अधिकारियों को पत्र भेजा गया था जिसमें उत्तर प्रदेश शासन ने ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) को सम्मिलित करने के लिए एक पत्र निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उ.प्र. को भेजा था। जिसके बावजूद भी कोई कार्यवाही न होने पर, ऐप्रवा की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में फरवरी 2022 में एक याचिका दाखिल की गई। उस याचिका पर उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश शासन से मान्यता समिति के गठन के लिए जवाब मांगा, जिसमें शासन की ओर से यह बताया गया था कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के कारण नई सरकार बनने के बाद प्रेस मान्यता समिति के गठन करने की कार्यवाही कर ली जाएगी।
इस पर न्यायालय ने उनसे शपथ पत्र लेकर यह कहते हुए याचिका निस्तारित किया था कि यदि नयी सरकार बनने के बाद मान्यता समिति गठित नहीं होता तो याची फिर से याचिका दायर कर सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज गुप्ता व न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने दिया था। नई सरकार बनने पर ऐप्रवा के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी की ओर से अनुस्मारक/स्मरण पत्र शासन को भेजा गया फिर भी सरकार द्वारा उ.प्र.मान्यता समिति का गठन नहीं किया गया।
इससे क्षुब्ध होकर, आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री द्वारा पुनः याचिका दाखिल किया गया। जिसमें न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खण्डपीठ ने पहले तो प्रदेश सरकार से पूछा कि अभी तक उ.प्र. प्रेस मान्यता समिति का गठन हुआ है कि नहीं और साथ ही नियमावली के जवाब मांगते हुए तिथि नियत कर दी।
इसमें विभाग द्वारा लगातार हिला हवाली किया जाता रहा। जिसको दृष्टिगत रखते हुए न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने दिनांक 13 अक्टूबर 2022 को कड़ा रुख दिखाते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति को गठित कर दिनांक 15 नवंबर 2022 को न्यायालय को सूचित करें।