नयी दिल्ली: पांच मार्च (ए) उच्चतम न्यायालय ने ‘ताज ट्रेपेजियम जोन’ (टीटीजेड) प्राधिकरण को क्षेत्र में वृक्षों की गणना के लिए वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) को नियुक्त करने का बुधवार को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि मौजूदा पेड़ों के आंकड़ों के बिना उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों को लागू नहीं किया जा सकता।टीटीजेड लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है, जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है।पीठ ने कहा, ‘‘यह आंकड़ा वृक्षों की गणना के माध्यम से उपलब्ध कराया जा सकता है। हम टीटीजेड प्राधिकरण को निर्देश देते हैं कि वह देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) को टीटीजेड क्षेत्र में सभी मौजूदा पेड़ों की गणना करने के लिए प्राधिकरण के रूप में नियुक्त करें।’’
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 का उद्देश्य वृक्षों की सुरक्षा करना है, न कि उन्हें गिराना या काटना।
इसने कहा कि वृक्षों की गणना के बिना 1976 अधिनियम के प्रावधानों का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो सकता।
उच्चतम न्यायालय ने टीटीजेड में मौजूदा पेड़ों की गणना किये जाने एवं एक ऐसा निगरानी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता जताई थी, जिससे पेड़ों की कटाई पर रोक सुनिश्चित हो।
पीठ टीटीजेड में पेड़ों की अनधिकृत कटाई से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसने कहा कि किसी भी अवैध कटाई को रोकने के लिए क्षेत्र में मौजूदा पेड़ों की गणना आवश्यक है।
पीठ ने कहा था, ‘‘प्रथमदृष्टया, हमारा विचार है कि ‘ताज ट्रेपेजियम जोन’ में मौजूदा पेड़ों की गणना करने की जरूरत है। पेड़ों की अवैध कटाई नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी तंत्र की आवश्यकता है।’’