कांग्रेस ने साबरमती के तट से लिया ‘‘नूतन गुजरात, नूतन कांग्रेस’’ का संकल्प

राष्ट्रीय
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अहमदाबाद: नौ अप्रैल (ए) कांग्रेस ने यहां साबरमती के तट पर आयोजित अपने अधिवेशन से बुधवार को ‘‘नूतन गुजरात, नूतन कांग्रेस’’ का संकल्प लिया और कहा कि वह तीन दशक के बाद सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक देगी।

पार्टी ने अपने अधिवेशन में गुजरात को लेकर अलग प्रस्ताव पारित किया जिसमें उसने ‘‘गुजरात में कांग्रेस क्यों’’ का उल्लेख करने के साथ ही राज्य को लेकर कई वादे किए हैं।प्रस्ताव में वादा किया गया है कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर पार्टी दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यकों के लिए ‘‘सामाजिक न्याय’’ सुनिश्चित करने के वास्ते गुजरात में जाति सर्वेक्षण कराएगी।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा कि यह उनकी पार्टी के इतिहास में पहली बार है जब एआईसीसी सत्र के दौरान एक राज्य को लेकर प्रस्ताव लाया गया है।

यह पूछे जाने पर कि यह प्रस्ताव क्यों लाया गया है, उन्होंने कहा, ‘‘यह अधिवेशन गुजरात में हो रहा है और हम पिछले 30 साल से राज्य की सत्ता से बाहर हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह कांग्रेस ही थी जिसने 1960 और 70 के दशक में गुजरात के विकास की नींव रखी थी। हालांकि, भाजपा शासन में इसके विकास को झटका लगा। यही कारण है कि हम आज के सत्र के दौरान गुजरात पर यह विशेष प्रस्ताव ला रहे हैं।’’

प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘गुजरात के निवासियों ने अपने मैत्रीपूर्ण व्यवहार, उद्यमिता की भावना, व्यावसायिक कुशलता और कड़ी मेहनत से न केवल इस राज्य में बल्कि राष्ट्र और पूरे विश्व में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। गुजरात के निवासी अपने योगदान और उपलब्धियों के लिए गौरवान्वित महसूस करते हैं।’’

कांग्रेस ने कहा, ‘‘गुजरात की कांग्रेस सरकारों ने सिंचाई और पेयजल की समस्याओं को दूर करके कृषि के विकास का एक मजबूत ढांचा स्थापित किया। गुजरात में नर्मदा योजना लागू करके बिजली उत्पादन और बेरोजगारी का हल निकाला।’’

इसने दावा किया कि गुजरात में भाजपा सरकार के पिछले 30 साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार तथा बर्बादी की पराकाष्ठा ने विकास और तरक्की पर ग्रहण लगा दिया।

प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है, ‘‘गुजरात में भाजपा के भ्रष्टाचार की वजह से नए बने हुए ही बड़े-बड़े पुल गिर जाते हैं और युवा अगर नौकरी के लिए कोई परीक्षा देने जाता है, तो उसका पेपर लीक हो जाता है।’’इसने कहा कि गुजरात में 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं और लगभग 55 प्रतिशत महिलाओं को खून की कमी है।

कांग्रेस ने दावा किया कि शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। इसने कहा कि स्व-वित्त संस्थानों पर गुजरात सरकार की निर्भरता ने शिक्षा को मध्यम वर्ग के लिए और ज्यादा महंगा बना दिया है।

पार्टी ने कहा, ‘‘गुजरात के किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से कोई सुरक्षा नहीं मिलती। गुजरात सरकार द्वारा फसल बीमा योजना में की जा रही लापरवाही किसानों के लिए गंभीर चिंता का विषय है।’’

कांग्रेस ने वादा किया है कि गुजरात में जाति जनगणना होगी।

प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों, और ग़रीबों को सामाजिक न्याय का अधिकार मिलेगा। पशु पालकों के गौचर की रक्षा होगी और बंजर ज़मीनों को नवसाध्य करके गौचरों की संख्या बढ़ाई जाएगी।’’

कांग्रेस ने कहा, ‘‘अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी को मज़दूर से किसान बनाने के लिए कांग्रेस की सरकारें साथनी की ज़मीन देती थीं जो भाजपा ने बंद कर दिया है। कांग्रेस की सरकार आएगी तो फिर से मज़दूर को किसान बनाने के लिए साथनी की ज़मीन दी जाएगी।’’

प्रस्ताव में कहा गया कि गुजरात के युवाओं को स्थायी रोज़गार सुनिश्चित कराए जाएंगे तथा कम पगार, ठेके की नौकरियों, आउटसोर्सिंग क्षेत्र का शोषण ख़त्म किया जाएगा। इसमें कहा गया कि समान काम और समान वेतन का अधिकार दिया जाएगा।

कांग्रेस ने कहा कि गुजरात को कुपोषण-मुक्त और नशा-मुक्त बनाया जाएगा तथा

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का क़ानूनी अधिकार प्राप्त होगा।