नयी दिल्ली, 10 अगस्त (ए) दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में दो लोगों को यह कहते हुए जमानत दे दी कि उनके खिलाफ कोई इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य नहीं हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने सन्नी चौधरी और अभिषेक ठाकुर को 20-20 हजार रुपये के जमानत बॉन्ड और इतनी ही रकम की जमानत पर राहत देने का आदेश दिया।
अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता कांस्टेबल परमेश कुमार ने मामले में दोनों आरोपियों की पहचान नहीं की थी और कांस्टेबल विपिन तोमर और राहुल द्वारा इनकी पहचान का कोई विशेष नतीजा नहीं निकलता।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “आरोप पत्र देखने से पता चलता है कि शिकायतकर्ता कांस्टेबल परमेश कुमार का बयान इस मामले में दर्ज किया गया जबकि उसने सिर्फ एक व्यक्ति चांद की शिनाख्त की थी, और याचिकाकर्ताओं की पहचान उसके द्वारा नहीं की गई थी…आवेदकों के खिलाफ रिकॉर्ड में कोई इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य नहीं हैं। इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है।”
अदालत ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि आदेश में कही गई किसी भी चीज को लेकर यह व्यक्त किये जाने का आशय नहीं लगाया जाना चाहिए कि इसका मामले के अंतिम गुण-दोष पर कोई प्रभाव होगा क्योंकि अभी यह संज्ञान-पूर्व चरण था।
अदालत ने सन्नी और ठाकुर को खजूरी खास इलाके में शांति और सौहार्द बनाए रखने का निर्देश देते हुए अपने-अपने मोबाइल फोन में ‘आरोग्य सेतु ऐप’ इंस्टॉल करने को भी कहा।
अदालत ने यह भी कहा कि उन्हें साक्ष्यों से छेड़छाड़ या मामले के गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई।