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न्यायालय में सुनवाई को देखते हुए सीईसी के चयन संबधी बैठक स्थगित की जानी चाहिए थी: कांग्रेस

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नयी दिल्ली: 17 फरवरी (ए) कांग्रेस सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) के नाम तय करने वाली समिति की बैठक अगले एक-दो दिनों के लिए स्थगित करनी चाहिए थी, क्योंकि उच्चतम न्यायालय संबंधित कानून पर सुनवाई करने वाला है।

पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने यह दावा भी किया कि चयन समिति से प्रधान न्यायाधीश को बाहर रखने का मतलब है कि यह सरकार इस संवैधानिक संस्था पर अपना नियंत्रण चाहती है।उनके मुताबिक, मोदी सरकार को चयन समिति की बैठक करने के बजाय उच्चतम न्यायालय से आग्रह करना चाहिए था कि मामले का त्वरित निस्तारण हो।

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि वर्तमान चयन समिति उच्चतम न्यायालय के दो मार्च, 2023 के उस आदेश का स्पष्ट और सीधा उल्लंघन है जिसमें कहा गया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रधान न्यायाधीश की मौजूदगी वाली समिति होनी चाहिए।

सिंघवी ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार शाम चयन समिति की जो बैठक हुई उसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए।

उनका यह भी कहना था, ‘‘बैठक में क्या हुआ है यह अगले 24 या 48 घंटे में पता चल जाएगा।’’

‘मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023’ के प्रावधानों को पहली बार सीईसी नियुक्त करने के लिए लागू किया जा रहा है। इससे पहले इसका उपयोग ईसी ज्ञानेश कुमार और संधू को नियुक्त करने के लिए किया गया था। यह नियुक्तियां तत्कालीन ईसी अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति और पिछले साल अरुण गोयल के इस्तीफे से उत्पन्न रिक्तियों को भरने के लिए की गई थीं।

कानून के अनुसार, सीईसी और ईसी की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी, जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट स्तर के केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे।

सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कार्यपालिका को अधिकार है वो कानून बनाए, लेकिन उच्चतम न्यायालय के व्यापक उद्देश्य को समझे बिना मोदी सरकार द्वारा जल्दबाजी में कानून बनाया गया। कानून बनाने के अधिकार का मतलब यह नहीं है कि अब वही कानून बनाए जाएंगे जो सरकार के अनुकूल हों।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगले 48 घंटे में जब उच्चतम न्यायालय की सुनवाई हो सकती है तो फिर इस बैठक को टाला भी जा सकता था।’’

सिंघवी ने आरोप लगाया कि सरकार ने न सिर्फ उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया है, बल्कि लोकतंत्र की भावना को भी दरकिनार किया है।

कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने संकेत दिया था कि 19 फरवरी को इस विषय में सुनवाई की जाएगी और यह फैसला आएगा कि समिति का गठन किस तरीके का होना चाहिए। ऐसे में आज की बैठक को स्थगित करना चाहिए था।

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