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बहराइच में ‘अतिक्रमण’ हटाने से संबंधित मामले में इलाहबाद उच्च न्यायालय ने यूपी सरकार से जवाब मांगा

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लखनऊ: छह नवंबर (ए) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बहराइच में कथित अतिक्रमण के विरुद्ध ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा कि कानून के अनुसार सर्वेक्षण व सीमांकन किया गया या नहीं।न्यायालय ने राज्य सरकार से अन्य बिंदुओं पर भी जानकारी मांगते हुए, मामले में अगली सुनवाई के लिए 11 नवंबर की तारीख तय की।

वहीं, सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि उसका जवाबी हलफनामा दाखिल हो चुका है, जिसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर दाखिल करने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने ‘एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को अगली तिथि पर यह भी बताने को कहा है कि क्या इस बात की जांच कराई गई थी कि जिन लोगों को नोटिस जारी किया गया है वे संपत्ति के असली मालिक हैं या नहीं?

वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दलील दी कि जिन अधिकारियों ने नोटिस जारी किया है, वे संबंधित प्रावधानों के तहत नोटिस जारी ही नहीं कर सकते और उन प्रावधानों के तहत नोटिस जारी करने का अधिकार सिर्फ जिलाधिकारी को है।

इस पर न्यायालय ने अगली सुनवाई के दौरान यह भी बताने को कहा है कि क्या नोटिस उपयुक्त प्राधिकारियों द्वारा जारी किया गया।

न्यायालय ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से भी कहा है कि वह नोटिस पाने वाले व्यक्तियों का विवरण अगली सुनवाई पर पेश करें।

उल्लेखनीय है कि 13 अक्टूबर को जुलूस के दौरान संगीत बजाने को लेकर हुए सांप्रदायिक टकराव के दौरान बहराइच के रेहुआ मंसूर गांव के राम गोपाल मिश्रा (22) की गोली लगने से मौत हो गई थी।

लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा क्षेत्र में 23 प्रतिष्ठानों को नोटिस दिए गए थे, जिनमें से 20 मुस्लिमों के हैं। पीडब्ल्यूडी ने महाराजगंज इलाके में निरीक्षण किया और 20-25 घरों का मापन किया, जिसमें मिश्रा की हत्या के आरोपी अब्दुल हमीद का घर भी शामिल है।

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