दार्जिलिंग, आठ दिसंबर (ए) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को ‘धन लेकर सवाल पूछने’ के मामले में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित करने के फैसले की निंदा की और इस कदम को देश के संसदीय लोकतंत्र के साथ ‘‘विश्वासघात’’ करार दिया।.
मोइत्रा को ‘धन लेकर सवाल पूछने’ के मामले में शुक्रवार को सदन की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया।.संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. इससे पहले सदन में लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद उसे मंजूरी दी गई, जिसमें मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “2005 में जब 10 सांसदों को निष्कासित किया गया था, उसी दिन रिपोर्ट पेश की गई थी, उसी दिन चर्चा हुई थी वे भी 10 सांसदों के लिए.”
बनर्जी ने कहा, ‘‘यह संसदीय लोकतंत्र के लिए शर्म की बात है. जिस तरह से महुआ मोइत्रा को निष्कासित किया गया, उसकी हम निंदा करते हैं, पार्टी उनके साथ खड़ी है. वे (भाजपा) हमें चुनाव में नहीं हरा सकते, इसलिए उन्होंने बदले की राजनीति का सहारा लिया है. यह दुखद दिन है और भारतीय संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है.
टीएमसी प्रमुख ने आरोप लगाया कि भाजपा ने मोइत्रा को अपना पक्ष रखने की भी अनुमति नहीं दी.
बनर्जी ने कहा, ‘‘लेकिन, वह (मोइत्रा) बड़े जनादेश के साथ संसद में लौटेंगी. भाजपा सोचती है कि पार्टी जो चाहे कर सकती है, क्योंकि उनके पास प्रचंड बहुमत है. उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि एक दिन ऐसा भी आ सकता है, जब वे सत्ता में नहीं रहेंगे.’’
पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री डॉ. शशि पांजा ने कहा,”…एक महिला का सत्ता में होना ऐसी चीज है जिसे भाजपा बर्दाश्त नहीं कर सकती…. उन्होंने(भाजपा) कैसे सोचा कि यह निष्कासन उन्हें(महुआ मोइत्रा) चुप कराने के लिए काफी है? वे 2024 में फिर चुनाव लड़ेंगी.”