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शिक्षा नीति या आत्मनिर्भर भारत

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-गौतम सिंह भदौरिया शिक्षा व्ययवस्था में बदलाव की बयार यानी आंधी बहोत दिनों से बह रही थी लेकिन कोई बड़ा बदलाव नही हुआ पर भारत के लोग बदलाव चाहें और ना हो ऐसा हो नही सकता, शिक्षा में बदलाव पहले भी हुए हैं लेकिन इस बदलाव को शिक्षा क्रांति का नाम देना अतिश्योक्ति नही होगी ।
बेसिक से लेकर हायर एजुकेशन तक के फॉरमेट में लंबे समय से बदलाव की जरूरत थी और बदलाव की आवाज उठ भी रही थी और कई ऐसे बातें हैं जो शिक्षा में नए बदलाव के इंतजार में थे जैसे
1)वैल्यू बेस्ड एडुकेशन
2)शिक्षो को अपनी जिम्मेदारी निभाने
3)बडे बडे कंपनी शिक्षा को बेहतर के लिए एडॉप्ट करें, और हुनर को तराशा जाए ।
लेकिन इसपे कुछ ज्यादा नही हुआ, हालांकि कुछ बदलाव तो जरूर हुए लेकिन ये “शिक्षा नीति 2020” एक अहम बदलाव है जो शिक्षा की नई ऊंचाइयों को छुएगी ।

भारत में नयी शिक्षा नीति 2020 को कैबिनेट की मंज़ूरी 29 जुलाई 2020 को मिल गई है. अब पांचवी कक्षा तक की शिक्षा मातृ भाषा में होगी अब ये सबसे प्रमुख बदलाव हैं क्योंकि हम या आने वाली पीढ़ी कहीं ना कहीं अपनी मातृभाषा से दूर होते जा रहें हैं, और अगर ऐसा चलता रहता तो हम अपने जड़ों को भूल जाते।
इस नीति में शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6% भाग खर्च किया जायेगा. ये बहोत ही बड़ा बदलाव है।
1986 में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति(National Education Policy) तैयार की गई थी और बाद में 1992 में इसे संशोधित किया गया था।

29 जुलाई 2020 को, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को मंजूरी देने की घोषणा की और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया। 

मुख्य बातें: 

NEP के अनुसार, 2030 तक प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक 100% GEW होगी।.
2023 तक, शिक्षकों को मूल्यांकन सुधारों के लिए तैयार किया जाएगा।.
समावेशी और समान शिक्षा प्रणाली के प्रावधान के लिए 2023 तक का लक्ष्य रखा गया है।बोर्ड परीक्षा में रट्टा लगाने के बजाय बच्चे के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, इसलिए मुख्य अवधारणाओं और ज्ञान के अनुप्रयोग का टेस्ट होगा, अब इन बातों को ध्यान से पढ़ें तो लगेगा कि शिक्षा को ये सब बातें और इनमें बदलाव की भी बहोत जरूरत थी ।
यह लक्ष्य रखा गया हैं कि हर बच्चे को अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के साथ एक कौशल प्राप्त हो यानी सिर्फ पढ़ने के लिए पढ़ना नही एक रोजगार की व्ययवस्था, आत्मनिर्भर बनना भी शिक्षा का आयाम है।
सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में सीखने के एक मानक होंगे और शुल्क भी एक समान बनाया जाएगा, आज की परिवेश में बात करें तो लगेगा कि शिक्षा का भी बाजारीकरण हो गया है और इसकी रोक धाम बहोत जरूरी है। इसलिए शुल्क यानी fee के मानक और बराबर को तय करना बहोत जरूरी है, वरना गरीब शिक्षा के लाभ से हमेशा वंचित रहेंगे, उन्हें भी पढ़ने और बढ़ने के अधिकार हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कुछ सुधार नीचे दिए गए हैं:

10 + 2 बोर्ड संरचना को हटाकर अब नई संरचना 5 + 3 + 3 + 4 होगी।
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, 5 वीं तक यह प्री स्कूल होगा, 6 से 8 वीं मिडल स्कूल और 8 से 11 वीं हाई स्कूल होगा, जबकि 12 वीं से आगे ग्रेजुएशन होगा।
6 वीं कक्षा के बाद छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का चयन कर सकते हैं और 8 वीं से 11 वीं के छात्र अपनी पसंद के विषय चुन सकते हैं।
सभी स्नातक पाठ्यक्रमों में मेजर और माइनर विषयों का प्रावधान होगा ।
यह निर्णय लिया गया है कि 5 वीं कक्षा तक शिक्षण की भाषा मातृभाषा होगी। त्रिभाषा फार्मूला लागू होगा और उच्च शिक्षा तक संस्कृत को विकल्प के रूप में दिया जाएगा ये एक सबसे खास बात है नई शिक्षा नीति 2020 में ।
राज्य अपनी पसंद की भाषा चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे और उन पर कुछ भी दबाव नहीं होगा, आपको अपनी राज्य भाषा का चयन भी बहोत जरूरी है आपके खुद के विकास और बदलाव के लिए, शिक्षा सिर्फ एक माध्यम नही है, एक माध्यम है जिससे आप अपने समाज और देश में बदलाव ला सकते हैं।
किसी छात्र के रिपोर्ट कार्ड में छात्रों के अकादमिक मार्क्स के स्थान पर छात्र की कौशल और क्षमताओं का व्यापक रिपोर्ट होगा, एक फ़िल्म थी 3 idiots जो बहोत शानदार और जानदार चली थीं तो उस फ़िल्म का सरलार्थ भी यही था और एक फ़िल्म के नाते ना जोड़कर यदि हम जीवन में भी जोड़े तो लगेगा कि “कौशल,क्षमताओं और आत्मनिर्भरता” का बहोत बड़ा योगदान है हमारे जीवन में और खासकर के हमारे शिक्षा में।
राष्ट्रीय मिशन का उद्देश्य बुनियादी साक्षरता और न्युमेरेसी पर ध्यान केंद्रित करना है।
पाठ्यक्रम के शैक्षणिक संरचना में बड़े बदलाव के बजाय संकाय में बड़े बदलाव नहीं किए गए हैं।
व्यावसायिक तथा शैक्षणिक और पाठ्यक्रम सम्बन्धी तथा पाठ्येतर के बीच के सभी  तरह की बाधाओं को भी दूर किया जाएगा।

बातें जो याद रखनी चाहए ।

ECE, शिक्षकों और वयस्कों के लिए नया  National Curriculum framework  होगा।
बोर्ड परीक्षा नॉलेज एप्लीकेशन पर आधारित होगी।
लर्निंग की प्रगति को ट्रैक करने के लिए छात्र की प्रगति को समय-समय पर ट्रैक किया जाएगा।
PARAKH नाम का एक राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र स्थापित होगा।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी, HEI में प्रवेश के लिए एक प्रवेश परीक्षा आयोजित करेगा।.
शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक(NPST) होंगा।
21 वीं शताब्दी के कौशल, गणितीय सोच और वैज्ञानिक स्वभाव को एकीकृत करने के लिए पाठ्यक्रम को इसके अनुरूप बनाया जाएगा।
मेधावी बच्चों को वर्तमान स्कूल शिक्षा प्रणाली के साथ जोड़ा जाएगा।
पाठ्यक्रम को केवल मूल अवधारणाओं तक सीमित किया जाएगा।
हम यहाँ पर सभी नवीनतम सरकारी नौकरियों को अपडेट करते रहेंगे। आप या तो इस पेज को बुकमार्क कर सकते हैं या अपने आप को अपडेट रखने के लिए इसे चेक करते रह सकते हैं।

बड़े बदलाव:-
शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। उच्च शिक्षा के लिए भी अब सिर्फ एक नियामक होगा। पढ़ाई बीच में छूटने पर पहले की पढ़ाई बेकार नहीं होगी। एक साल की पढ़ाई पूरी होने पर सर्टिफिकेट और दो साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा दिया जाएगा ।
ग्रेजुएशन में 3-4 साल की डिग्री, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम
नई शिक्षा नीति के मुताबिक यदि कोई छात्र  इंजीनियरिंग कोर्स को 2 वर्ष में ही छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा।  इससे इंजीनियरिंग छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी।  पांच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया जाएगा। एमफिल को खत्म किया जाएगा और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एक साल के बाद पढ़ाई छोड़ने का विकल्प होगा। नेशनल मेंटरिंग प्लान के जरिये शिक्षकों का उन्नयन किया जाएगा। 
बीएड 4 साल का होगा। 4 वर्षीय बीएड डिग्री 2030 से शिक्षक बनने की न्यूनतम योग्यता होगी।
नई नीति में MPhil खत्म 
देश की नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छात्रों को एमफिल नहीं करना होगा। एमफिल का कोर्स नई शिक्षा नीति में निरस्त कर दिया गया है। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छात्र ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और उसके बाद सीधे पीएचडी करेंगे। 4 साल का ग्रेजुएशन डिग्री प्रोग्राम फिर MA और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं। नई शिक्षा नीति के तहत एमफिल कोर्सेज को खत्म किया गया है। इसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है ये बदलाव एक शिक्षा क्रांति बदलाव हैं, इससे शिक्षा में एक नए क्रांति की शुरुवात होगी ।

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कॉलेजों को कॉमन एग्जाम का ऑफर
नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यह परीक्षा कराएगी।
स्कूल, कॉलेजों की फीस पर नियंत्रण के लिए तंत्र बनेगा

 
नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की तैयारी
आनलाइन शिक्षा का क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट तैयार करना, वर्चुअल लैब, डिजिटल लाइब्रेरी, स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों को डिजिट संसाधनों से लैस कराने जैसी योजनाएं शामिल हैं।

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