नयी दिल्ली: छह सितंबर (ए) दिल्ली की एक अदालत ने दहेज हत्या और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों से मृतका के पति और ससुराल वालों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में ‘‘बुरी तरह विफल’’ रहा कि महिला ने दहेज के लिए प्रताड़ित किये जाने के कारण आत्महत्या की।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विपिन खरब की अदालत ने अरशद आलम और उसके माता-पिता को मामले में बरी किया।इनके खिलाफ ओखला औद्योगिक क्षेत्र पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए (पति या उसके रिश्तेदार द्वारा विवाहित महिला के साथ क्रूरता करना), धारा 304 बी (दहेज हत्या) और धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि अरशद, उनके पिता खुर्शीद आलम और मां शाहिदा खातून ने 26 जुलाई, 2023 को फराह नाज को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया। अरशद और नाज की मार्च 2019 में शादी हुई थी।
हाल ही में दिए गए फैसले में अदालत ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि आरोपी व्यक्तियों ने फराह नाज से कई मौकों पर एक कार, सोने की चेन, सोने की अंगूठी और पैसे की मांग की और इसके लिए उसे परेशान करते थे, लेकिन अभियोजन पक्ष यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं ला सका कि किस तारीख, महीने या साल में ऐसी मांग की गई थी और किस तरीके से मांग की गई थी।’’