नयी दिल्ली: 13 नवंबर (ए) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति सरकारी नौकरी पाने का कोई निहित अधिकार नहीं है, क्योंकि यह सेवा के दौरान मरने वाले कर्मचारी की सेवा की शर्त नहीं है।
न्यायालय ने उस व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी, जिसके पुलिस कांस्टेबल पिता की 1997 में ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो गई थी, जब याचिकाकर्ता की आयु सात वर्ष थी।न्यायमूर्ति अभय एस. ओका, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि राज्य को किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के पक्ष में संबंधित नीति के विपरीत कोई अवैधता जारी रखने के लिए कहने वाला कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है।
पीठ के लिए फैसला लिखते हुए न्यायमूर्ति मसीह ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियां परिवार के सदस्य की मृत्यु के समय उत्पन्न तात्कालिक वित्तीय संकट को दूर करने के लिए की जाती हैं तथा यह कोई निहित अधिकार नहीं है, जिसका दावा लंबी अवधि बीत जाने के बाद किया जा सके।
फैसले में कहा गया, “जहां तक अनुकंपा नियुक्ति को नियुक्ति के लिए निहित अधिकार के रूप में दावा करने का सवाल है, तो यह कहना पर्याप्त है कि उक्त अधिकार सेवा के दौरान मरने वाले कर्मचारी की सेवा की शर्त नहीं है, जिसे किसी भी प्रकार की जांच या चयन प्रक्रिया के बिना आश्रित को दिया जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता टिंकू के पिता कांस्टेबल जय प्रकाश की 1997 में ड्यूटी के दौरान एक अधिकारी के साथ मृत्यु हो गई थी।
उस समय टिंकू केवल सात वर्ष का था और उसकी मां, जो अशिक्षित थी, अपने लिए अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं कर सकती थी।