लखनऊ: 13 अप्रैल (ए) समाजवादी पार्टी (सपा) के एक दलित सांसद द्वारा राजपूत राजा राणा सांगा के खिलाफ की गई टिप्पणी से उपजे विवाद ने उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में दलितों के महत्व को सामने ला दिया है तथा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं मुख्य विपक्षी पार्टी सपा सियासी लिहाज से बेहद अहम दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की जुगत में लगी हैं।
राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक, हाल में हुए विवाद और इसे लेकर दोनों दलों के सियासी शह-मात के खेल के कारण मतदाताओं में 21 फीसद की हिस्सेदारी रखने वाले दलितों पर ध्यान और बढ़ गया है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को एक पखवाड़े तक चलने वाले ‘आंबेडकर सम्मान अभियान’ की शुरुआत की, जिसमें भाजपा कार्यकर्ताओं को सरकार की दलित-केंद्रित योजनाओं का प्रचार करने का काम सौंपा गया।
इस बीच, समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इटावा में आंबेडकर की एक प्रतिमा का अनावरण किया और उपस्थित लोगों को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कांशीराम को लोकसभा चुनाव जिताने में पार्टी की भूमिका की याद दिलाई। इस दावे की भाजपा ने आलोचना की।
सपा के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन ने पिछले महीने राणा सांगा को “गद्दार” कहकर विवाद खड़ा कर दिया था, जिस पर क्षत्रिय समुदाय की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई थी। राजपूत गौरव की वकालत करने वाले जाति-आधारित समूह करणी सेना के कई कार्यकर्ताओं ने 26 मार्च को सांसद के आगरा स्थित आवास में तोड़फोड़ की थी।
अखिलेश यादव ने भाजपा पर सुमन के आगरा स्थित आवास पर करणी सेना के हमले का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
सुमन ने ‘ बातचीत में कहा कि उन्हें निशाना बनाया जाना दरअसल पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठबंधन पर हमला है।