नयी दिल्ली, पांच जनवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की उस याचिका पर सुनवाई 22 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी जिसमें उन्होंने कथित “केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं” टिप्पणी को लेकर अहमदाबाद की एक मजिस्ट्रेट अदालत में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि की शिकायत को गुजरात के बाहर किसी स्थान, संभव हो तो दिल्ली, स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है।
न्यायमूर्ति ए.एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले को तब टाल दिया जब यादव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपने मुवक्किल द्वारा की गई कथित टिप्पणियों को वापस लेने पर एक हलफनामा दायर करने के लिए निर्देश मांगने के लिए समय दिए जाने का अनुरोध किया।न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ अहमदाबाद में एक मजिस्ट्रेटी अदालत के समक्ष लंबित मामले को गुजरात के बाहर, मुख्यत: दिल्ली में स्थानांतरित करने संबंधी तेजस्वी की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गई।
पीठ ने नोटिस जारी किया और राजद नेता की याचिका पर गुजरात के उस व्यक्ति से जवाब मांगा, जिसने तेजस्वी के खिलाफ मानहानि की शिकायत दायर की है।
तेजस्वी ने अपने वकील अजय विक्रम सिंह के माध्यम से मामले को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी में करना तय किया है।
कथित आपराधिक मानहानि को लेकर तेजस्वी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत गुजरात की एक अदालत में शिकायत दर्ज की गई थी। गुजरात की अदालत ने अगस्त में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत राजद नेता के खिलाफ प्रारंभिक जांच की थी और स्थानीय व्यवसायी एवं कार्यकर्ता हरेश मेहता द्वारा दायर शिकायत पर उन्हें तलब करने का पर्याप्त आधार पाया था।
शिकायत के अनुसार, तेजस्वी ने मार्च 2023 में पटना में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि ‘वर्तमान स्थिति में केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं, और उनके फर्जीवाड़े को माफ कर दिया जाएगा।’
बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कथित तौर पर कहा था, ‘‘अगर वे एलआईसी या बैंकों का पैसा लेकर भाग गए तो कौन जिम्मेदार होगा?’मेहता ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि इस टिप्पणी से सभी गुजरातियों की मानहानि हुई।