Site icon Asian News Service

आपराधिक मामले में आरोपी पहचान परेड कराने से इनकार नहीं कर सकता : उच्चतम न्यायालय

Spread the love
FacebookTwitterLinkedinPinterestWhatsapp

नयी दिल्ली, 25 अगस्त (ए) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किसी आपराधिक मामले के आरोपी को दंड प्रक्रिया संहिता के तहत जांच के दौरान परेड परेड (टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड -टिप) करानी पड़ती है और यह किसी संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है।.

न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला की पीठ ने हत्या के एक मामले में दोषी की अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।.शीर्ष न्यायालय ने कहा कि परेड संविधान के अनुच्छेद 20 (3) के तहत किसी आरोपी के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है। इस अनुच्छेद में कहा गया है किसी आरोपी को अपने खिलाफ गवाह बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने कहा कि परेड में भाग लेने का मतलब अपने खिलाफ गवाह बनना नहीं होता है।

उसने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि सीआरपीसी में धारा 54ए के उल्लेख के बाद आरोपी पहचान परेड में भाग लेने के लिए बाध्य है। कोई भी आरोपी इस आधार पर पहचान परेड में भाग लेने से इनकार नहीं कर सकता कि उसे इसके लिए विवश नहीं किया जा सकता।’’

न्यायालय ने कहा कि अगर आरोपी को अपने खिलाफ सबूत देने के लिए विवश किया जाता है तो फिर संविधान का अनुच्छेद 20(3) उसकी रक्षा करेगा।

पीठ इस सवाल पर सुनवाई कर रही थी कि क्या कोई आरोपी इस आधार पर पहचान परेड में भाग लेने से इनकार कर सकता है कि उसे परेड से पहले ही चश्मदीदों को दिखाया जा चुका है और ऐसी परिस्थितियों में पहचान परेड उसके खिलाफ सबूत पैदा करने के अलावा कुछ नहीं है।

उच्चतम न्यायालय ने हत्या के एक मामले में निचली अदालत तथा दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसलों के खिलाफ मुकेश सिंह की अपील खारिज कर दी। निचली अदालत ने उसे तथा दो अन्य को एक व्यक्ति को लूटपाट के लिए रोकने तथा विरोध करने पर उसकी हत्या करने के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनायी थी।

FacebookTwitterWhatsapp
Exit mobile version