नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (ए) दिल्ली की एक अदालत कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर अपना आदेश 28 अप्रैल को सुना सकती है।.
विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल, जो बुधवार को फैसला सुनाने वाले थे, ने यह कहते हुए मामले को टाल दिया कि आदेश तैयार नहीं है।.अदालत ने सिसोदिया की याचिका पर दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। सिसोदिया की याचिका में दावा किया गया था कि जांच के लिए उनकी हिरासत की अब आवश्यकता नहीं है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सिसोदिया की जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि मामले की जांच महत्वपूर्ण चरण में है और आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता ने यह दिखाने के लिए मनगढ़ंत ई-मेल का हवाला दिया था कि नीति के लिए सार्वजनिक स्वीकृति थी।
ईडी ने यह भी कहा है कि उसे कथित अपराध में सिसोदिया की मिलीभगत के नए सबूत मिले हैं।
दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज किए गए आबकारी नीति मामले में 31 मार्च को पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि सिसोदिया प्रथम दृष्टया इस मामले में आपराधिक साजिश के सूत्रधार थे और उन्होंने दिल्ली सरकार में अपने और अपने सहयोगियों के लिए लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में ‘सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख भूमिका’ निभाई।
अदालत ने कहा था कि इस समय सिसोदिया की रिहाई से जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसकी प्रगति ‘गंभीर रूप से बाधित’ हो सकती है।
सिसोदिया इस मामले में 26 फरवरी से हिरासत में हैं।
सीबीआई और ईडी ने अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में कई दौर की पूछताछ के बाद 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार किया था।