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आहुलाना धाम में बर्बरीक ने किया था शीष का दान – महावीर

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सोनीपत, (हरियाणा ), सात मई (ए)। जनपद सोनीपत की गन्नौर तहसील में स्थित महाभारतकालीन अति प्राचीन आहुलाना धाम श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख तीर्थस्थल है। हर वर्ष देशभर से लाखों श्रद्धालु यहां स्थित प्राचीन भगवान श्री श्याम मन्दिर के दर्शनों के लिए आते है। मंदिर के मुख्य पुजारी महावीर ने बताया कि उनकी अनेकों पीढ़ियों ने इस मंदिर की सेवा की है। बताया कि यह वही स्थान है जहां पर भगवान श्री कृष्ण को महान योद्धा बर्बरीक ने अपना शीश काटकर दान में दिया था। पंड़ित महावीर ने बताया कि यह एक सिद्ध क्षेत्र है और बहुत ही चमत्कारी है। इस स्थान पर सच्चे मन से आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है। बताया कि वर्ष 2023 में यहां एक भव्य भगवान श्री श्याम जी के मन्दिर का निर्माण हुआ है। वर्ष 1976 में स्थापित प्राचीन सिद्ध और चमत्कारी भगवान श्री श्याम मन्दिर का जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर है। मन्दिर परिसर में करोड़ो रूपये की लागत से एक विशाल कुंड़ का निर्माण कार्य चल रहा है। वर्ष 1976 में जिस स्थान पर प्राचीन भगवान श्री श्याम मंदिर को स्थापित किया गया है, उसी स्थान पर हजारों वर्षो से कलयुग के भगवान – श्री बर्बरीक के थान की पूजा होती चली आ रही थी। उसी थान के ऊपर देश के साधु-संतो ओर विद्धानों द्वारा वर्ष 1976 में प्राचीन श्याम मंदिर का निर्माण कराया गया। श्रद्धालुओं की बस लेकर आये मॉं वैष्णों सोशल वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष बड़ौत निवासी सुनील गुप्ता उर्फ बॉबी गुप्ता ने बताया कि वास्तव में यह क्षेत्र बहुत ही चमत्कारी है। श्रद्धालुओं की मांग पर अनेकों वर्षो से हर साल अनेकों तीर्थ दर्शन यात्रा बसें मॉं वैश्णों सोशल वेलफेयर सोसायटी बड़ौत द्वारा निशुल्क आहुलाना धाम दर्शन कराने के लिए भेजी जाती है। मॉं वैष्णों सोशल वेलफेयर सोसायटी बड़ौत के सचिव शुभम गुप्ता ने बताया कि आहुलाना धाम को श्याम की नगरी के नाम से जाना जाता है। बताया कि इस स्थान पर सिद्ध गोगा मेढ़ी धाम, नाग देवी का मन्दिर, बाबा भोले की समाधि जैसे तीर्थ स्थल मौजूद है। इसके साथ-साथ इस स्थान पर दो बाबा निवास करते है। बड़े बाबा रामरूप जी महाराज उर्फ मोनी बाबा और छोटे बाबा अरविन्द दास जी महाराज के दर्शनों से श्रद्धालुगण धन्य हो जाते है। इसके अलावा आहुलाना धामा में अनेकों भगवानो और देवी देवताओं के मन्दिर है और अनेकों सिद्ध साधु-संतो की समाधि है।

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