भोपाल: सात अप्रैल (ए) पुलिस ने मध्यप्रदेश के दमोह जिले में एक मिशनरी अस्पताल के ‘फर्जी’ हृदय रोग विशेषज्ञ के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसके द्वारा कथित तौर पर इलाज किए जाने के बाद सात लोगों की मौत हो गई है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक टीम सोमवार को दमोह पहुंचेगी और मामले की जांच करने के लिए बुधवार तक वहां डेरा डालेगी।अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने दमोह जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) एमके जैन की शिकायत पर रविवार आधी रात को आरोपी डॉ. नरेंद्र जॉन कैम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।
शिकायत में जैन ने आरोप लगाया कि डॉ. कैम ने मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत हुए बिना मिशन अस्पताल में मरीजों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी करके धोखाधड़ी की है।
डॉक्टर के मेडिकल दस्तावेजों पर पंजीकरण प्रदर्शित नहीं है, जो प्रथम दृष्टया संदिग्ध प्रतीत होता है। प्राथमिकी में कहा गया है कि मध्यप्रदेश में कोई भी डॉक्टर मध्मयप्रदेश मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण के बिना सेवाएं नहीं दे सकता है।
जिला कलेक्टर के पत्र के बाद डॉक्टरों की एक टीम ने भी मामले की जांच की और अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि डॉ. कैम पहले ही अस्पताल छोड़ चुके हैं।
प्राथमिकी के अनुसार, अस्पताल प्रबंधक ने डॉक्टर की डिग्री से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराए और जांच दल को प्रथम दृष्टया मेडिकल काउंसिल या विश्वविद्यालय का पंजीकरण नंबर नहीं मिला, जो आमतौर पर दस्तावेजों में उल्लिखित होता है।
प्राथमिकी में कहा गया है कि मिशन अस्पताल द्वारा प्रस्तुत, संबंधित डॉक्टर के दस्तावेजों के अनुसार, उनका मेडिकल पंजीकरण प्रमाण पत्र आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल द्वारा जारी किया गया है। इसके अनुसार, लेकिन आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल की आधिकारिक वेबसाइट पर पंजीकरण में डॉ. कैम का नाम नहीं दिखाई देता है, इसलिए यह पहली नजर में संदिग्ध लगता है।
आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 315 (4) (गबन), 338 (जालसाजी), 336 (3) (धोखाधड़ी के इरादे से दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाना या बदलना), 340 (2) (जाली दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड) और 3 (5) (जब एक ही इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा आपराधिक कृत्य किया जाता है, तो संयुक्त आपराधिक दायित्व) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एनएचआरसी में स्थानीय निवासी द्वारा पहले दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, अस्पताल में काम करने वाले व्यक्ति ने ‘डॉ एन जॉन कैम’ नाम का इस्तेमाल करते हुए खुद को विदेश से शिक्षित और प्रशिक्षित दिखाया था।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि व्यक्ति का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि उसने ब्रिटेन के एक प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर जॉन कैम के नाम का दुरुपयोग करके मरीजों को गुमराह किया और उसके गलत इलाज के कारण मरीजों की मौत हो गई।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि इस वर्ष जनवरी से फरवरी के बीच दमोह के मिशन अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में एक अयोग्य और अनाधिकृत डॉक्टर के इलाज के कारण कई लोगों की मौत हो गई।
एनएचआरसी सदस्य प्रियंक कानूनगो ने शुक्रवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि दमोह के एक मिशनरी अस्पताल में सात लोगों की असामयिक मौत का मामला सामने आया है, जहां एक फर्जी डॉक्टर हृदय रोग के इलाज के नाम पर मरीजों का ऑपरेशन कर रहा था।
शिकायत के अनुसार, उक्त मिशनरी अस्पताल प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के अंतर्गत आता है, इसलिए सरकारी धन का दुरुपयोग भी किया गया है। उन्होंने कहा कि एमएचआरसी ने जांच के आदेश दिए हैं।उन्होंने बताया कि जांच दल शिकायत में उल्लेखित संस्था और प्रशासनिक अधिकारियों सहित अन्य व्यक्तियों की जांच करेगा।
दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने रविवार को बताया कि मामले में शिकायत मिली है और इसकी जांच की जा रही है।