नयी दिल्ली: 22 अप्रैल (ए)।
अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को देश के भीतर “उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक कोई भी डिक्री या आदेश” पारित करने का अधिकार देता है।न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा, “हम इस तरह के अनुरोध को कैसे मंजूरी दे सकते हैं? इसके लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता है। आप संसद के पास जाइए।”
पीठ ने कहा, “याचिका में किया गया अनुरोध पूरी तरह से गलत है। संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्ति केवल इस अदालत को हासिल है, उच्च न्यायालयों को नहीं। इसलिए, हम उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 142 के तहत शीर्ष अदालत को हासिल शक्ति का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दे सकते।”
उच्चतम न्यायालय ने गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) अभिनव भारत कांग्रेस की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।