मुंबई: सात दिसंबर (ए) समाजवादी पार्टी (सपा) ने शनिवार को कहा कि वह बाबरी मस्जिद ढहाये जाने की शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे के एक करीबी सहयोगी द्वारा सराहना किये जाने और एक समाचारपत्र में संबंधित विज्ञापन में उक्त कृत्य के पीछे रहे लोगों को बधाई देने के कारण महा विकास आघाडी (एमवीए) से अलग हो रही है।
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में समाजवादी पार्टी के दो विधायक हैं।सपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख अबू आजमी ने कहा, ‘‘शिवसेना (उबाठा) द्वारा बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के लिए लोगों को बधाई देते हुए एक अखबार में विज्ञापन दिया गया था। उनके (उद्धव ठाकरे के) सहयोगी ने भी मस्जिद को ढहाये जाने की सराहना करते हुए ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया है।’’आजमी ने ‘ कहा, ‘‘हम एमवीए छोड़ रहे हैं। मैं (समाजवादी पार्टी अध्यक्ष) अखिलेश सिंह यादव से बात कर रहा हूं।’’
शिवसेना (उबाठा) के विधान पार्षद मिलिंद नार्वेकर ने बाबरी मस्जिद ढहाये जाने की घटना पर एक पोस्ट किया था, जिसके जवाब में सपा ने यह कदम उठाया।
नार्वेकर ने मस्जिद ढहाये जाने की एक तस्वीर पोस्ट की, जिसके साथ ही शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का कथन लिखा, ‘‘मुझे उन लोगों पर गर्व है जिन्होंने यह किया।’’
शिवसेना (उबाठा) सचिव ने पोस्ट में उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और स्वयं की तस्वीरें भी पोस्ट कीं।
आजमी ने कहा, ‘‘यदि एमवीए में कोई भी ऐसी भाषा बोलता है, तो भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) और उनके बीच क्या अंतर है? हमें उनके साथ क्यों रहना चाहिए?’’
उन्होंने कहा कि मस्जिद को ढहा दिया गया और इसके लिए किसी को सजा नहीं हुई। साथ ही उन्होंने कहा कि लोग इसे भूल गए हैं लेकिन घाव फिर से कुरेदे जा रहे हैं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस को यह तय करना है कि क्या वह इस तरह की बातें करने वाले किसी व्यक्ति के साथ गठबंधन कर सकती है।’’
शिवसेना (उबाठा) नेता भास्कर जाधव ने पलटवार करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद पर उनकी पार्टी का रुख 1992 से एक जैसा ही है। उन्होंने सवाल किया कि क्या समाजवादी पार्टी को शिवसेना (उबाठा) के रुख का एहसास 31 साल बाद हुआ है। जाधव ने सपा पर सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर झुकाव का आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी के एमवीए छोड़ने के फैसले के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नितिन राउत ने कहा, ‘‘अबू आजमी ने (एमवीए छोड़ने का) बयान दिया है। हम समाजवादी पार्टी के साथ उसके फैसले पर चर्चा करेंगे और समझेंगे कि समस्या क्या है।’’
राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे ने कहा, ‘‘इससे एमवीए को सीधे तौर पर कोई क्षति पहुंचने की संभावना नहीं है, क्योंकि राज्य में सपा की मौजूदगी बहुत सीमित है। एमवीए से बाहर निकलने का फैसला शायद निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए लिया जा रहा है और पार्टी का रुख उसी के अनुसार बनाया जा रहा है।’’
इस बीच, आजमी ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी जैसी पार्टियों के साथ कोई तालमेल नहीं था।
सपा ने आठ सीट पर चुनाव लड़ा था और दो पर जीत दर्ज की थी और छह पर दोस्ताना मुकाबला किया था।
समाजवादी पार्टी एमवीए का हिस्सा थी, जिसमें मुख्य रूप से शिवसेना (उबाठा), कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) शामिल हैं।
अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी का यह कदम राष्ट्रीय स्तर पर ‘इंडिया’ गठबंधन के भीतर मतभेदों को भी दर्शाता है, जिसका एमवीए हिस्सा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने ‘इंडिया’ गठबंधन के कामकाज पर शुक्रवार को असंतोष व्यक्त किया था और संकेत दिया था कि हरियाणा एवं महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली करारी हार के बीच यदि उन्हें मौका मिला तो वह गठबंधन की कमान संभालेंगी।