नयी दिल्ली: 20 जनवरी (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार मामले में भाजपा से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर को चिकित्सा आधार पर दी गई अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने से सोमवार को इनकार कर दिया।
राजनीतिक नेता को 20 जनवरी को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन वह बलात्कार के मुख्य मामले में खंडपीठ से राहत पाने में असफल रहा, क्योंकि यह पाया गया कि जमानत विस्तार के लिए उसका आवेदन पीड़िता को नहीं दिया गया था।न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिन्दर कौर की पीठ ने कहा, “उसे हिरासत में लिया जाए।”बलात्कार पीड़िता के वकील ने आरोप लगाया कि उन्हें केवल “शीघ्र सुनवाई” की मांग वाला एक आवेदन दिया गया था।
इसके बाद, पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत से संबंधित मामले में न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा कि खंडपीठ के रुख को देखते हुए, इस मामले में अंतरिम राहत बढ़ाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
न्यायाधीश ने कहा, “यदि खंडपीठ ने इनकार कर दिया है, तो इससे कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। आप आत्मसमर्पण कर दीजिए।”
सेंगर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने न्यायमूर्ति महाजन से कहा कि वह शाम को अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर देंगे।
बलात्कार के मुख्य मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सेंगर को पिछले साल दिसंबर की शुरुआत में उसके स्वास्थ्य के आधार पर दो सप्ताह की अंतरिम जमानत दी गई थी। बाद में राहत को एक और महीने के लिए बढ़ा दिया गया था।
सेंगर ने 2017 में नाबालिग लड़की को अगवा कर उसके साथ बलात्कार किया था।
एक अगस्त, 2019 को उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर बलात्कार का मामला और अन्य संबंधित मामले को सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था।