उपभोक्ता संगठन के सदस्यों को बिना देरी के वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं : शीर्ष न्यायालय

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 11 मार्च (ए) उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे राज्य और जिला उपभोक्ता निवारण निकायों के अध्यक्षों और सदस्यों को मौजूदा नियमों के अनुसार वेतन एवं भत्ते का तुरंत भुगतान करें।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका एवं न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र को उपभोक्ता संरक्षण (राज्य आयोग और जिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के वेतन, भत्ते और सेवा की शर्तें) मॉडल नियम, 2020 में संशोधन करने पर विचार करने का भी निर्देश दिया।पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि इस मामले में उठाए गए विभिन्न विवादों के प्रति पूर्वाग्रह के बिना मौजूदा राज्य नियमों के अनुसार वेतन और भत्ते का तुरंत भुगतान अध्यक्षों/सदस्यों को किया जाए।’’शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर भारत सरकार की ओर से संभावित संशोधन पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो वह ‘‘संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार का प्रयोग करने पर विचार करेगी’’।

शीर्ष अदालत ने पांच मार्च के आदेश में कहा, ‘‘अगर कुछ राज्य सरकारों द्वारा अनुपालन नहीं किया जाता है, तो संबंधित पक्ष न्यायमित्र को इस आशय का एक नोट सौंपने के लिए स्वतंत्र हैं ताकि अदालत उचित आदेश पारित कर सके।’’

पीठ उपभोक्ता मंचों के सदस्यों के वेतन और सेवा शर्तों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।