लखनऊ, नौ जनवरी (ए) मकान मालिक और किरायेदारों के अधिकारों की रक्षा और उनके बीच होने वाले विवादों पर अंकुश लगाने के लिए ‘उत्तर प्रदेश नगरीय किरायेदारी विनियमन-अध्यादेश 2021’ को शुक्रवार को उत्तर प्रदेश मंत्री परिषद (कैबिनेट) ने मंजूरी दे दी है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी शनिवार को दी।
उन्होंने बताया कि नये अधिनियम के तहत मकान मालिकों के लिए किरायेदार के साथ अनुबंध करना अनिवार्य किया गया है। इसके तहत किराया प्राधिकरण का गठन किया जाएगा और किसी भी किराये के समझौते का प्राधिकरण में पंजीकरण कराना होगा।
किराया प्राधिकरण एक विशिष्ट पहचान संख्या जारी करेगा और अनुबंध की सूचना मिलने के सात दिनों के भीतर अपनी वेबसाइट पर किरायेदार का विवरण अपलोड करेगा।
अगर 12 माह से कम अवधि का किरायेदारी अनुबंध है तो इसकी सूचना प्राधिकरण को नहीं देनी होगी।
उप्र सरकार के एक अधिकारी के अनुसार नये अध्यादेश में यह व्यवस्था दी गई है कि अगर दो माह तक किराये का भुगतान नहीं मिला तो मकान मालिक किरायेदार को मकान से खाली करवा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि विवादों का निस्तारण किराया प्राधिकरण एवं अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा किया जायेगा और न्यायाधिकरण को 60 दिनों के भीतर किसी भी विवाद का निपटारा करना होगा।
अधिकारी के मुताबिक, यह कानून लागू होने के बाद मकान मालिक और किरायेदार के बीच समझौते में बहुत अधिक पारदर्शिता होगी और छोटे विवादों की गुंजाइश नहीं रहेगी। मकान मालिक समझौते की अवधि में किरायेदार को बेदखल नहीं कर सकेंगे।
साथ ही कानून में यह भी स्पष्ट होगा कि मकान के रख रखाव, पानी, बिजली आदि के भुगतान की जिम्मेदारी किसकी होगी।