एक राष्ट्र, एक चुनाव “साहसपूर्ण दूरदर्शिता” का प्रयास:राष्ट्रपति मुर्मू

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नयी दिल्ली: 25 जनवरी ( ए) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने संबंधी सरकार की पहल को “साहसपूर्ण दूरदर्शिता” का एक प्रयास बताया और कहा कि “एक राष्ट्र एक चुनाव” से सुशासन को नए आयाम दिए जा सकते हैं।राष्ट्रपति ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए सरकार के कई सुधारात्मक और कल्याणकारी कदमों तथा कानूनों का उल्लेख किया और कहा कि हाल के दौर में औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं।’मुर्मू ने कहा, ‘वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे। हाल के दौर में, उस मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों में – भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का निर्णय सर्वाधिक उल्लेखनीय है।’उन्होंने कहा कि न्याय शास्त्र की भारतीय परंपराओं पर आधारित इन नए अधिनियमों द्वारा दंड के स्थान पर न्याय प्रदान करने की भावना को आपराधिक न्याय प्रणाली के केंद्र में रखा गया है।

मुर्मू ने कहा कि देश में चुनावों को एक साथ संपन्न कराने के लिए संसद में पेश किया गया विधेयक, एक और ऐसा प्रयास है, जिसके द्वारा सुशासन को नए आयाम दिए जा सकते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘ ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की व्यवस्था से शासन में निरंतरता को बढ़ावा मिल सकता है, नीति-निर्धारण से जुड़ी निष्क्रियता समाप्त की जा सकती है, संसाधनों के अन्यत्र खर्च हो जाने की संभावना कम हो सकती है तथा वित्तीय बोझ को कम किया जा सकता है। इनके अलावा, जन-हित में अनेक अन्य लाभ भी हो सकते हैं। ‘

लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को बीते शीतकालीन सत्र के दौरान निचले सदन में पेश किया गया था और फिर इन पर विचार के लिए 39 सदस्यीय संसद की संयुक्त समिति का गठन किया गया।

संविधान के महत्व का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने पिछले 75 वर्षों में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्रता के समय देश के कई हिस्से अत्यधिक गरीबी और भुखमरी का सामना कर रहे थे। हालांकि, हमने खुद पर विश्वास बनाए रखा और विकास के लिए परिस्थितियां बनाईं।’

राष्ट्रपति ने हाशिए पर पड़े समुदायों, विशेषकर अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सहायता प्रदान करने के प्रयासों का उल्लेख किया।

उन्होंने महाकुंभ का उल्लेख करते हुए कहा, ‘हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है। इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है।’

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने तथा उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साहजनक प्रयास किए जा रहे हैं