बेंगलुरु, 13 मई (ए) चुनाव प्रचार के अंतिम दिन अपने गृह राज्य के लोगों से भावनात्मक अपील करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने जनता से इस बात पर गर्व करने को कहा कि कर्नाटक का ‘भूमिपुत्र’ होते भी वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने और उन्होंने पार्टी के लिए मतदान का आग्रह किया।.
ऐसा लगता है कि खरगे की बातों ने लोगों का दिल छू लिया और मतदाताओं ने दिल खोलकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को 136 सीटें मिली हैं। विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 10 मई को हुआ था और वोटों की गिनती तथा परिणाम की घोषणा शनिवार को हुई है। पार्टी के कई नेताओं ने विधानसभा चुनाव में जीत का श्रेय राज्य में खरगे की लगातार मौजूदगी और शीर्ष से लेकर सबसे निचले स्तर तक पर चुनावी प्रक्रिया के दौरान निगरानी को दिया है।
ऐसा लगता था कि इस चुनाव का सारा दारोमदार खरगे पर ही है और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में रैलियां और प्रचार करने के लिए राज्य के हर हिस्से का दौरा किया है। उन्होंने 24 जनसभाओं को संबोधित किया है और एक रोड शो भी किया।
इसी सप्ताह की शुरुआत में कलबुर्गी में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा था, ‘‘मैं अब (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी से कहना चाहता हूं कि मैं कर्नाटक और गुलबर्गा (कलबुर्गाी) का भूमिपुत्र हूं। आपको जो अधिकार गुजरात में प्राप्त है, वह मुझे यहां है और मुझे वह मिलना चाहिए। आपने मेरे घर के लिए कुछ नहीं किया है, लेकिन मैं अपने क्षेत्र के लिए काम करने के बाद मांगने आया हूं। आपने वोट पाने के लिए यहां क्या किया है?’’
खरगे ने कहा कि कलबुर्गी के लोगों का आशीर्वाद है कि वह संसद में हैं, विधानसभा में रहे और विपक्ष के नेता सहित विभिन्न पदों पर काम करने का मौका मिला। हालांकि, खरगे लोकसभा चुनाव में हार गए थे, लेकिन सोनिया गांधी ने उन्हें राज्यसभा भेजा और विपक्ष का नेता बनाया था।
इस सबसे ऊपर वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह गुलबर्गा (कलबुर्गी) के लोगों के लिए, राज्य की जनता के लिए गर्व का क्षण है, मेरे लिए नहीं।’’
कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव का प्रचार पार्टी में उठ रहे बागी स्वरों को एकजुट रखने की चुनौती के साथ शुरू किया… खास तौर से मुख्यमंत्री पद के दो दावेदारों सिद्धरमैया और डी. के. शिवकुमार के बीच एकजुटता… इन दोनों नेताओं को अकसर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हुए देखा जा सकता था।