कानपुर (उप्र), 29 मई (ए) कानपुर शहर के 129 साल पुराने ऐतिहासिक ‘मुस्लिम यतीमखाना’ (मुस्लिम अनाथालय) के पदाधिकारियों के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत अनिवार्य लाइसेंस प्राप्त किए बिना अनाथालय का संचालन करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है।एक अधिकारी ने यह जानकारी सोमवार को दी।.
अधिकारी ने बताया कि जिला मजिस्ट्रेट के निर्देश पर जिला परिवीक्षा अधिकारी जयदीप सिंह की शिकायत पर कर्नलगंज थाने में रविवार को प्राथमिकी दर्ज की गयी। उन्होंने बताया कि पुलिस ने अंजुमन यतीम खाना इस्लामिया एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम 2015 (जेजे एक्ट) के प्रावधान के तहत प्राथमिकी दर्ज की।.
एक अधिकारी के मुताबिक 21 मई को जिला परिवीक्षा अधिकारी ने जिले के अधिकारियों और पुलिस के साथ परेड इलाके (यतीमखाना के नाम से भी जाना जाता है) स्थित यतीमखाना पर छापा मारा था। उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने छापेमारी के दौरान पाया कि वहां 29 नाबालिग अनाथ बच्चों को पाला जा रहा था।
अधिकारी ने बताया कि छापे के दौरान अधिकारियों ने पाया कि 42 में से 19 लड़कियां और 10 लड़के नाबालिग थे।
उन्होंने कहा कि नाबालिग अनाथों को उनके परिवार के सदस्यों या अभिभावकों को सौंपने के सख्त निर्देश जारी किए गए, जिसके बाद सभी 29 नाबालिग अनाथ बच्चों को जल्द ही उनके घरों में भेज दिया गया।
इस बीच, यतीम खाना इस्लामिया एसोसिएशन के महासचिव अख्तर हुसैन अख्तर ने कहा कि उन्होंने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत बोर्ड के समक्ष अनिवार्य पंजीकरण के लिए आवेदन किया है, लेकिन अब तक पंजीकरण नहीं किया गया है ।
हालांकि, उन्होंने दावा किया कि कार्रवाई पक्षपातपूर्ण थी, क्योंकि प्रशासन को उन्हें प्राथमिकी दर्ज करने से पहले छह महीने का समय देना चाहिए था।