इंदौर: 14 सितंबर (ए) राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के साथ मध्यप्रदेश सरकार के एक समझौते के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शनिवार को कहा कि राज्य का डेयरी ब्रांड ‘‘सांची” बरकरार रहेगा और सूबे के सहकारी दुग्ध संघों के किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी।
मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और इससे संबद्ध दुग्ध संघों का संचालन अगले पांच साल के लिए एनडीडीबी को सौंपने को लेकर राज्य सरकार के हालिया फैसले की पृष्ठभूमि में यह बात कही।यादव ने इंदौर सहकारी दुग्ध संघ के कर्मचारियों से संवाद के दौरान कहा,‘‘हमारा प्रयास रहेगा कि एनडीडीबी के साथ हुए करार के जरिये प्रदेश में दूध उत्पादन और डेयरी क्षेत्र की सहकारी गतिविधियां बढ़ें, लेकिन हम दुग्ध संघों के एक भी अधिकारी-कर्मचारी को तय वक्त से पहले सेवानिवृत्त नहीं करेंगे। हम सभी कर्मचारियों को पहले की तरह दुग्ध संघों से जोड़कर रखेंगे।’’
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य का डेयरी ब्रांड ‘‘सांची’’ बरकरार रहेगा और इसमें कोई भी बदलाव नहीं होगा।
उन्होंने कहा,‘‘सांची ब्रांड का अपना महत्व है। राज्य के लोगों का इस ब्रांड से आत्मीय जुड़ाव है।’’
यादव ने कहा कि देश में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश का तीसरा स्थान है और राष्ट्रीय दूध उत्पादन में मध्यप्रदेश की भागीदारी करीब नौ प्रतिशत है।
उन्होंने कहा,‘‘हम एनडीडीबी के साथ हुए करार के जरिये देश के कुल दूध उत्पादन में मध्यप्रदेश की भागीदारी दोगुनी बढ़ाकर 18 प्रतिशत करना चाहते हैं।’’
यादव ने कहा कि सूबे के 51,000 से ज्यादा गांवों में दूध उत्पादन बढ़ाने की प्रचुर संभावनाएं हैं, लेकिन फिलहाल इंदौर, उज्जैन, भोपाल और सागर को छोड़कर अन्य स्थानों के सहकारी दुग्ध संघ घाटे में चल रहे हैं।
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने मध्यप्रदेश के दुग्ध संघों का संचालन अगले पांच साल के लिए एनडीडीबी को सौंपने के राज्य सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने हाल ही में ‘‘एक्स’’ पर कहा,’जैसे सांची मध्यप्रदेश का ब्रांड है, वैसे ही अमूल गुजरात का ब्रांड है। पिछले दरवाजे से सांची पर कब्जा किया जा रहा है। अमूल काफी समय से मध्यप्रदेश में अपना विस्तार करना चाह रहा था। उसने बड़ा संयंत्र भी स्थापित किया, लेकिन रास्ता नहीं मिल रहा था। मध्यप्रदेश सरकार, मत घुटने टेकिए।’’