प्रयागराज,01मई (ए)। उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगरेप केस को दूसरे जिले में ट्रांसफर किए जाने की याचिका पर अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को कहीं और ट्रांसफर किया जाता है तो ये गैंगरेप पीड़िता का अपमान होगा। कोर्ट ने कहा कि न्याय सिर्फ आरोपियों के लिए नहीं, पीड़िता के साथ भी होना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने गैंगरेप के आरोपियों की तीन याचिकाओं को रद्द कर दिया है। मामला यूपी के झांसी जिले का है। आरोपी विपिन तिवारी और रोहित पर आरोप है कि उन्होंने लड़की के साथ रेप किया और वीडियो भी बनाया। एक अन्य आरोपी शैलेंद्र नाथ पाठक पर पीड़िता से पैसे लेने का भी आरोप है। आरोपियों की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गईं। इसमें आरोपियों के खिलाफ दायर केस को झांसी से हटाकर किसी और जिले में ट्रांसफर किए जाने की मांग की गई थी। मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार ओझा ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि ये मामला गैंगरेप का है। अगर केस को झांसी से किसी दूसरे जिले में ट्रांसफर किया जाता है तो ये पीड़िता, गवाहों, अभियोजन पक्ष और पूरे समाज के लिए सुविधाजनक नहीं होगा।आरोपियों ने ट्रांसफर याचिका में कहा था कि पीड़िता के पिता झांसी में पेशे से वकील हैं, इसलिए कोई भी वकील झांसी जिला कोर्ट में आवेदकों की तरफ से पेश होने को तैयार नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि अगर ये मामला झांसी से किसी दूसरे जिले में ट्रांसफर किया जाता है तो इससे गैंगरेप पीड़िता को दूसरे जिले का सफर करना पड़ेगा, जिससे उसको परेशानी और मानसिक पीड़ा होगी। कोर्ट ने कहा कि आवेदकों को अपनी पसंद के वकील के माध्यम से केस लड़ने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा इस मामले को अगर कहीं ट्रांसफर किया जाता है तो औपचारिक गवाहों को छोड़कर अन्य सभी गवाह झांसी के निवासी हैं उन्हें दूसरे जिलों की यात्रा करनी होगी। कोर्ट ने झांसी के जिला मजिस्ट्रेट को इस मामले की प्रोग्रेस मॉनिटरिंग करने के लिए भी निर्देशित किया है।