चुनावों में हार के लिये विपक्ष ने ईवीएम पर दोष मढ़ा, भाजपा नेताओं ने उड़ाया उनका मजाक

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (ए) पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद कुछ विपक्षी नेताओं द्वारा ईवीएम पर सवाल उठाए जाने को लेकर भाजपा नेताओं ने उनका उपहास उड़ाते हुए कहा कि वे (विपक्षी नेता) अपनी कमियों को छिपाने के लिये बहाने तलाश रहे हैं। .

हाल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हिंदी पट्टी के तीन राज्यों – राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़- में भारतीय जनता पार्टी को मिली जीत के बाद कई विपक्षी नेताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर सवाल उठाए थे, कुछ ने हालांकि कहा कि उन्हें ईवीएम पर भरोसा है।केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब भी वे चुनाव जीतने में असफल होते हैं, तो वे ईवीएम को दोष देते हैं।

उन्होंने कहा, “नया कुछ भी नहीं है। विपक्ष, चाहे कोई भी हो, जब जीतता है तो उसे ईवीएम से कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन जब हारता है, तो इसका ठीकरा ईवीएम पर फोड़ता है।”

एक अन्य भाजपा नेता एस.पी. सिंह बघेल ने कहा, “इन ईवीएम के दम पर आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में तीन बार और पंजाब में एक बार चुनाव जीता, 2012 में समाजवादी पार्टी (सपा) को (उत्तर प्रदेश में) पूर्ण बहुमत मिला, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 2007 में (उत्तर प्रदेश में) पूर्ण बहुमत मिला और कांग्रेस ने तेलंगाना जीता।”

उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “नाच न जाने आंगन टेढ़ा।”

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सांसद चिराग पासवान ने कहा कि विपक्ष पुरानी बात दोहरा रहा है।

उन्होंने कहा, “इसमें कोई नई बात नहीं है, लेकिन अगर आप तीन राज्यों में सवाल उठा रहे हैं, तो तेलंगाना की जीत पर भी सवाल उठाएं। यह घिसा-पिटा फार्मूला है। यह पुनरावृत्ति है। अगर आपको लगता है कि ईवीएम में हेरफेर किया गया है, तो आप प्रचार करने क्यों जाते हैं? आप उन राज्यों में चयनात्मक आलोचना करते हैं, जहां आप चुनाव हार गए हैं। आपको अपनी हार को स्वीकार करने और समझने की जरूरत है।”

भाजपा के वरिष्ठ नेता राजीव प्रताप रुडी ने कहा कि ईवीएम का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “ईवीएम पिछले 18-19 साल से हैं। जब वे (विपक्ष) चुनाव जीतते हैं, तो सवाल नहीं उठाते। क्या उन्हें लोगों पर भरोसा नहीं है? मुझे लगता है कि बार-बार हार के बाद भी विपक्ष द्वारा इसे उठाना हास्यास्पद है।”

अभिनेता और भाजपा सांसद रवि किशन ने कहा, “यह पता था कि वे ईवीएम को दोष देंगे। उनके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है। उनके भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण को लोगों ने खारिज कर दिया है, इसलिए वे ऐसी अपरिपक्व बातें कह रहे हैं।उन्होंने कहा, “देश ने विपक्ष को खारिज कर दिया है। भविष्य में भाजपा हर चुनाव जीतेगी।”

अभिनेता से नेता बने दिनेश लाल यादव निरहुआ ने कहा, “विपक्ष ईवीएम का रोना रोता रहेगा और (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदीजी अगले साल 400 (लोकसभा) सीट के साथ वापस आएंगे।”

कई विपक्षी नेताओं ने कहा कि ईवीएम पर संदेह बढ़ रहा है।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता सौगत रॉय ने कहा कि कुछ चिंताएं हैं, जिनका समाधान किया जाना चाहिए।

रॉय ने कहा, “हमारी पार्टी ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है, लेकिन जाहिर तौर पर सवाल हैं। कई विपक्षी दलों ने सवाल उठाया है कि टेलीफोन के जरिए ईवीएम में हेरफेर किया जा सकता है। साथ ही इस मामले में एक इजराइली तकनीक भी सवालों के घेरे में आ गई है। सरकार ने हालिया संघर्ष (इजराइल और हमास के बीच) में इजराइल समर्थक रुख अपनाया है। इस पर गहनता से गौर करने की जरूरत है।”

बसपा सांसद दानिश अली ने कहा कि वह हमेशा से ईवीएम के खिलाफ रहे हैं।

उन्होंने कहा, “ईवीएम पर सवाल लंबे समय से उठाए जा रहे हैं। इस पर भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी ने सवाल उठाया था। भाजपा के राज्यसभा सदस्य जी.वी.एल. नरसिम्हा राव ने इस पर एक किताब लिखी है।”

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने हालांकि कहा कि उन्हें ईवीएम पर भरोसा है।

उन्होंने कहा, “ईवीएम पर मेरी व्यक्तिगत राय अपरिवर्तित है। मुझे ईवीएम पर पूरा भरोसा है। मैं जानता हूं कि मेरी पार्टी के कई सहयोगियों की राय अलग है, लेकिन मैं हमेशा ईवीएम को लेकर बहुत आश्वस्त रहा हूं।”

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की हार के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया था, जिसके बाद यह मुद्दा गरमा गया।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है। सिंह ने कहा कि उन्होंने 2003 से ही ईवीएम द्वारा मतदान का विरोध किया है।