कोलकाता, चार अक्टूबर (ए) तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी सहित अन्य नेताओं को एक दिन पहले राजधानी दिल्ली में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय में धरना देने के दौरान हिरासत में लिए जाने के खिलाफ पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने बुधवार को राज्यभर में विरोध-प्रदर्शन किया और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह का पुतला फूंका।.
पश्चिम बंगाल को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और अन्य योजनाओं के अंतर्गत धन आवंटन का मुद्दा, केंद्र और राज्य सरकार के बीच नए टकराव का कारण बन रहा है।.तृणमूल कांग्रेस के सांसदों व नेताओं ने दो और तीन अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान पार्टी नेताओं को हिरासत में लिया गया।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने हाथों में पोस्टर और बैनर लेकर धरना दिया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
टीएमसी कार्यकर्ता कई जगहों पर रेल पटरियों पर बैठ गए और उन्होंने गिरिराज सिंह के पुतले फूंके। कुछ जगहों पर कार्यकर्ताओं ने टायरों में आग लगा दी।
पार्टी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के ‘तानाशाही रवैये’ के खिलाफ बुधवार को राज्यभर में रैली निकाली गईं।
पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन हमारे नेताओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया और पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में लिया गया। राज्य के सभी ब्लॉक में ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह के पुतले फूकें गए।’’
टीएमसी की युवा शाखा ने मुख्य इकाई के साथ मिलकर राज्य के सभी ब्लॉक में विरोध प्रदर्शन कार्यक्रमों का आयोजन किया था।
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा कि पार्टी अपनी लड़ाई जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है और वह भाजपा को बंगाल की आवाज नहीं दबाने देगी।
एआईटीसी ने ट्वीट कर कहा, ”जब भाजपा के भ्रष्ट तौर तरीकों और दमनकारी राजनीति के खिलाफ आवाज उठती है तो भगवा दल अपना असल रंग दिखाता है। कल (मंगलवार) हमारे नेताओं और वंचित लाभार्थियों ने जिस दुर्व्यवहार का सामना किया वह राष्ट्र के प्रति उनकी (भाजपा की) ओछी रणनीतियों को दिखाता है। हमारी प्राथमिकता को दोहराते हुए हम भाजपा को बंगाल की आवाज नहीं दबाने देंगे।”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने घटना की निंदा करते हुए इसे ‘लोकतंत्र का काला दिवस’ करार दिया था।
अभिषेक बनर्जी ने पार्टी सांसदों, राज्य सरकार में मंत्रियों व समर्थकों और मनरेगा मजदूरों के साथ नयी दिल्ली के जंतर-मंतर पर मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया था। बनर्जी ने महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर दो अक्टूबर को राजघाट पर दो घंटे का धरना भी दिया था लेकिन उन्हें वहां से पुलिस द्वारा हटा दिया गया।
इसके बाद उन्होंने कृषि भवन में ग्रामीण विकास मंत्रालय तक मार्च निकाला, जहां उनकी मुलाकात राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति से निर्धारित थी।
हालांकि, कृषि भवन पहुंचने के करीब डेढ़ घंटे बाद तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि मंत्री ने उनसे यह कहते हुए मिलने से मना कर दिया कि वह पांच से ज्यादा प्रतिनिधियों से मुलाकात नहीं करेंगी।
जिसके बाद अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल नेताओं का एक समूह धरने पर बैठ गया, जो रात नौ बजे तक जारी रहा। धरना दे रहे नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया और मंत्रालय परिसर खाली करा लिया गया। बाद में नेताओं को छोड़ दिया गया।
तृणमूल कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता सामिक भट्टाचार्य ने कहा कि यह और कुछ नहीं बल्कि दिल्ली में पार्टी के नाटक को लम्बा खींचने का एक प्रयास है।
उन्होंने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस सुर्खियों में बने रहने के लिए नाटक करना चाहती थी। दिल्ली में उनका मकसद पूरा हो गया और अब वे राजनीतिक लाभ पाने के लिए बंगाल में यह ड्रामा जारी रखना चाहते हैं।’’