नयी दिल्ली/कोलकाता, 11 दिसंबर (ए) केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति पर स्पष्टीकरण देने के लिए राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को 14 दिसंबर को तलब किया है। यह कदम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के काफिले पर हमले को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ की रिपोर्ट मिलने के बाद उठाया गया है।
अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
कोलकाता में संवाददाता सम्मेलन में बंगाल में कानून व्यवस्था का उल्लंघन करनेवालों को पुलिस और प्रशासन का संरक्षण प्राप्त होने तथा विपक्ष के विरोध को दबा देने का आरोप लगानेवाले धनखड़ से नड्डा के काफिले पर हमले के बाद रिपोर्ट मांगी गई थी।
नड्डा के काफिले पर बृहस्पतिवार की सुबह तृणमूल कांग्रेस के कथित कार्यकर्ताओं ने तब हमला किया था जब वह भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करने पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिला स्थित डायमंड हार्बर जा रहे थे।
अधिकारियों ने कहा कि पश्चिम बंगाल के दोनों शीर्ष अधिकारियों-मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय और पुलिस महानिदेशक वीरेंद्र से राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर स्पष्टीकरण देने को कहा जा सकता है तथा राजनीतिक हिंसा और अन्य अपराधों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा जा सकता है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय को अभी पश्चिम बंगाल में नड्डा के दौरे के दौरान ‘‘गंभीर सुरक्षा खामियों’’ पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार से रिपोर्ट नहीं मिली है।
अधिकारियों ने कहा कि बनर्जी के भतीजे अभिषेक के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र डायमंड हार्बर में हिंसा के बाद राज्यपाल की रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति तथा राजनीतिक हिंसा और अन्य अपराधों पर राज्य सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में विस्तृत विवरण दिया गया है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर कोलकाता में राज्य सरकार की निंदा की और कहा कि मुख्यमंत्री को भाजपा को बाहरी लोगों की पार्टी बताने की बार-बार की जा रही अपनी टिप्पणियों से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान राष्ट्रीय ताने-बाने को कमजोर करेंगे।
धनखड़ ने कहा कि यह शर्मनाक है कि नड्डा पर हमले की घटना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के दिन हुई।
राजभवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राज्यपाल ने कहा, ‘‘ मैंने केंद्र को अपनी रिपोर्ट भेज दी है जिसकी विषय वस्तु यहां साझा नहीं की जा सकती।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि कानून का उल्लंघन करने वालों को पुलिस और प्रशासन का संरक्षण प्राप्त है तथा विपक्ष के किसी भी विरोध को दबाया जा रहा है।
धनखड़ ने कहा, ‘‘राज्यपाल डाकघर नहीं है… वह राजभवन में ही सीमित नहीं रह सकता जब मानवाधिकारों का उल्लंघन हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल अपनी शपथ का अनुपालन करेगा चाहे कुछ भी हो।’’
राज्यपाल ने जोर देकर कहा कि संविधान की रक्षा करना उनका कर्तव्य है।
धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री भी संवैधानिक प्रावधानों के दायरे में आती हैं और उन्हें संविधान के अनुसार ही कार्य करना होगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि नौकरशाहों का एक वर्ग ‘राजनीतिक नौकर’ की तरह काम कर रहा है जबकि उसे वेतन जनता के पैसों से मिल रहा है।
राज्यपाल ने कहा, ‘‘जवाबदेही तय की जाएगी।’’
उन्होंने ममता बनर्जी से कहा कि वह ‘‘आग से नहीं खेलें।’’
धनखड़ ने कहा, ‘‘ हर बीतते दिन के साथ राज्य में कानून व्यवस्था खराब हो रही है। मुख्यमंत्री और प्रशासन को अगाह करने के बावजूद कुछ नहीं हो रहा है।’’
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का राजभवन के प्रति ‘‘गैर उत्तरदायी’’ रवैया इंगित करता है कि संविधान के अनुसार शासन नहीं चल रहा है।
उन्होंने रेखांकित किया कि कानून के राज से शासन की दूरी लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है।
धनखड़ ने कहा, ‘‘ पश्चिम बंगाल में मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य यह है कि किसी भी विपक्ष (विरोध) को बेरहमी से दबा दिया जाता है…कल मानवाधिकार को तिलांजलि दे दी गई।’’