नयी दिल्ली, 21 जुलाई (ए) उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन के एक मामले में तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी को बरकरार रखने के मद्रास उच्च न्यायालय के 14 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी तथा उनकी पत्नी मेगाला की याचिकाओं पर शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा।.
न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम सुंदरेश की पीठ ने याचिकाओं पर ईडी को नोटिस जारी किया और मामले पर अगली सुनवाई के लिए 26 जुलाई की तारीख तय की।.मंत्री और उनकी पत्नी ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष न्यायालय में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।
बालाजी की गिरफ्तारी को बरकरार रखने के अलावा उच्च न्यायालय ने धनशोधन मामले में एक सत्र अदालत द्वारा उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने के फैसले को भी वैध करार दिया था। धनशोधन का यह मामला राज्य परिवहन विभाग में ‘नौकरी के बदले नकदी’ के कथित घोटाले से जुड़ा है। यह कथित घोटाला उस समय हुआ जब बालाजी परिवहन मंत्री थे।
वह तमिलनाडु मंत्रिपरिषद में बिना विभाग के मंत्री बने हुए हैं।
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने विजय मदनलाल चौधरी मामले में शीर्ष अदालत के 2022 के फैसले का हवाला दिया और कहा कि इसने माना था कि ईडी अधिकारी ‘‘पुलिस अधिकारी’’ नहीं हैं।
विजय मदनलाल चौधरी मामले में अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तारी, धनशोधन से अर्जित संपत्ति की कुर्की और तलाशी से संबंधित ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा था।
इसने कहा था कि 2002 अधिनियम के तहत अधिकारी ‘‘पुलिस अधिकारी नहीं हैं’’ और प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत दर्ज प्राथमिकी नहीं माना जा सकता।
ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को पीठ को बताया कि एजेंसी के अधिकारियों के पास गिरफ्तार करने की शक्ति है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति नहीं हो सकती, जहां मैं (ईडी) किसी को केवल न्यायिक हिरासत में भेजने के लिए गिरफ्तार करूं क्योंकि गिरफ्तारी का उद्देश्य जांच करना है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘आप नोटिस स्वीकार करें। हम एक तारीख तय करेंगे और मामले की सुनवाई करेंगे।’’
मेहता ने अदालत से मामले की जल्द सुनवाई के लिए तारीख तय करने का आग्रह किया, जिसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 26 जुलाई के लिए तय की।
बालाजी की पत्नी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय द्वारा न्यायमूर्ति सी वी कार्तिकेयन को तीसरे न्यायाधीश के रूप में नामित किया गया था। न्यायमूर्ति कार्तिकेयन खंडपीठ द्वारा दिए गए फैसले के बाद, न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती के निष्कर्षों से सहमत हुए थे।
न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने बालाजी की गिरफ्तारी को बरकरार रखा था। तीसरे न्यायाधीश ने माना कि आरोपी को जांच विफल करने का कोई अधिकार नहीं है।
न्यायमूर्ति कार्तिकेयन ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि मामले को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला के समक्ष रखा जाए ताकि इसे उसी खंडपीठ के पास भेजा जा सके और वह तारीख निर्धारित की जा सके जब ईडी बालाजी को हिरासत में ले सकती है।
बालाजी की पिछले दिनों कोरोनरी बाईपास सर्जरी हुई थी। उन्हें निजी अस्पताल से चेन्नई की पुझल केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति कार्तिकेयन ने अपने आदेश में कहा था कि शिकायतकर्ता के अनुसार, उसने सरकारी परिवहन निगम में नौकरी हासिल करने के एवज में 2.40 लाख रुपये दिए थे। उन्होंने कहा कि यह घूस का अपराध है जिसके लिए प्राथमिकी दर्ज की गई और उसके बाद ईडी ने प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी।
इसके बाद, ईडी ने बालाजी को गिरफ्तार कर लिया था। वह पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री थे और अभी द्रमुक सरकार में मंत्री पद पर बने हुए हैं।