बंगाल को मनरेगा राशि से वंचित नहीं किया; कोष के इस्तेमाल में विसंगतियां: साध्वी निरंजन ज्योति

राष्ट्रीय
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कोलकाता, सात अक्टूबर (ए) केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने शनिवार को कहा कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल को कभी भी मनरेगा राशि से वंचित नहीं किया है और पिछले नौ वर्षों के आंकड़े यह साबित करते हैं।

ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने यहां संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के जिलों में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना कोष के उपयोग में विसंगतियां हैं।

मंत्री ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के इन आरोपों को खारिज किया कि उन्होंने मनरेगा के बकाया के संबंध में बातचीत के लिए नयी दिल्ली में पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी के प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया। ज्योति ने कहा, ‘‘मैं उनसे मिलना चाहती थी और उनका लगभग ढाई घंटे तक इंतजार किया। लेकिन वे अपने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की संख्या को लेकर अड़े रहे।’’

ज्योति ने दावा किया, ‘‘वे अब झूठे आरोप लगा रहे हैं कि मैं पिछले दरवाजे से भाग गई। टीएमसी झूठ फैला रही है। वे मुझसे मिलना नहीं चाहते थे, वे सिर्फ नाटक करना चाहते थे।’’

केंद्रीय मंत्री ने किसी भी समय टीएमसी प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी की नीयत पर सवाल उठाया।

इससे पहले, टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने पार्टी विधायकों, सांसदों, राज्य के मंत्रियों और मनरेगा कामगारों के साथ नयी दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था तथा कृषि भवन स्थित ग्रामीण विकास मंत्रालय तक मार्च किया था, जहां उनका ज्योति से मिलने का कार्यक्रम था।

हालांकि, करीब डेढ़ घंटे के बाद टीएमसी नेताओं ने दावा किया कि प्रतिनिधिमंडल में सदस्यों की संख्या पांच तक रखने की बात कहते हुए मंत्री ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया।

केंद्रीय मंत्री के आरोपों पर टीएमसी ने कहा कि अगर वह बातचीत में रुचि रखती हैं तो उन्हें राजभवन के बाहर प्रदर्शन स्थल पर आना चाहिए और आंदोलनकारियों से बातचीत करनी चाहिए। पश्चिम बंगाल की मंत्री शशि पांजा ने कहा, ‘‘अगर वह बातचीत में रुचि रखती हैं, तो वह विरोध स्थल पर आएं और हमारे साथ बातचीत करें।’’

इस मुद्दे पर अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी कार्यकर्ता राजभवन के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। अभिषेक ने कहा है कि जब तक राज्यपाल सी वी आनंद बोस उनसे धरना स्थल पर नहीं मिलेंगे तब तक वे अपना प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे।

टीएमसी ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर सिलसिलेवार पोस्ट कर मंत्री की आलोचना की और उनके दावों को खारिज कर दिया। टीएमसी ने कहा, ‘‘भाजपा के नेताओं ने लोगों के अधिकारों के लिए हमारी लड़ाई को तमाशा, नौटंकी और न जाने क्या-क्या कहकर उपहास उड़ाया। आज साध्वी निरंजन के संवाददाता सम्मेलन के बारे में क्या कहा जाए? उन्होंने लोगों की चिंताओं का निवारण किए बिना ‘बेशर्मी’ से हंगामा किया और जल्दबाजी में उत्तर प्रदेश चली गईं।’’

टीमएसी ने पोस्ट किया, ‘‘यदि हमें कृषि भवन में तीन घंटे तक इंतजार कराने और हमारे प्रतिनिधिमंडल पर दिल्ली पुलिस से हमला करवाने से मन नहीं भरा, तो अब भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार चाहते हैं कि अभिषेक बनर्जी भाजपा कार्यालय जाएं और वहां राज्य मंत्री साध्वी निरंजन से मिलें।’’

टीएमसी ने ज्योति पर हमला करते हुए उनके खिलाफ बाहरी व्यक्ति का मुद्दा भी उठाया। पार्टी ने 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान पश्चिम बंगाल का दौरा करने वाले भाजपा के केंद्रीय नेताओं को बाहरी बताया था, जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘बंगाल की बेटी’ के रूप में प्रस्तुत किया था।

टीएमसी के एक पोस्ट में कहा गया, ‘‘हम धरना स्थल से एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। यदि भाजपा नेताओं को वास्तव में लोगों के कल्याण की परवाह है, तो उन्हें हमसे मुलाकात करनी चाहिए।’’

टीएमसी ने कहा, ‘‘राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ने साहसपूर्वक झांसी की रानी को याद करते हुए कायरों की तरह नहीं भागने का वादा किया। विडंबना यह है कि ठीक उसी समय फेसबुक लाइव अचानक समाप्त हो गया, क्यों? क्योंकि वह कानपुर के लिए अपनी उड़ान पकड़ने की जल्दी में थीं।’’

टीएमसी ने निरंजन पर हमला करते हुए पोस्ट में कहा, ‘‘हालांकि वह दावा कर सकती हैं कि बुन्देलखण्ड उनकी जड़ें हैं, लेकिन उनका व्यवहार जयाजीराव सिंधिया से काफी मिलता-जुलता है, वही व्यक्ति जिसने रानी लक्ष्मीबाई को धोखा दिया था।’’

मंत्री और टीएमसी प्रतिनिधिमंडल के बीच निर्धारित बैठक पर पार्टी ने दावा किया कि ज्योति ने प्रतिनिधिमंडल के साथ आए मनरेगा कामगारों से मिलने से इनकार कर दिया था। टीएमसी ने कहा, ‘‘उन्होंने हमारे प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया क्योंकि वह केवल नेताओं से मिलना पसंद करती हैं, बंगाल के वंचित लोगों से नहीं। यदि आप लोगों से जुड़ने से इनकार करती हैं, तो आप किस तरह की जनप्रतिनिधि हैं? अपने सार्वजनिक कर्तव्यों का कुछ तो ख्याल रखिए।