पटना,18 अगस्त एएनएस। बिहार में पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों के शिक्षकों की नई सेवाशर्त नियमावली को राज्य कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसके अनुसार साढ़े तीन लाख से अधिक शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का लाभ सितंबर, 2020 से ही दिया जाएगा। इसके साथ ही इन शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिसका लाभ एक अप्रैल, 2021 से मिलेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह स्वीकृति प्रदान की गई। गौरतलब हो कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने गांधी मैदान से इसकी घोषणा की थी।
बैठक के बाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने कहा कि ईपीएएफ में 13 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार देगी। इसमें 12 प्रतिशत शिक्षकों के पीएफ खाते में तथा एक प्रतिशत राशि ईपीएफओ को जाएगी। इसी प्रकार शिक्षक भी 12 प्रतिशत की अपनी हिस्सेदारी देंगे। उन्होंने कहा कि ईपीएफ का लाभ दिया जाना भी एक तरह से वेतन वृद्धि ही है। इसमें अंतर्गत पेंशन का लाभ भी मिलेगा। शिक्षकों की मृत्यु पर इसमें ढाई से छह लाख तक का राशि भी देने का प्रावधान है।
ईपीएफ का लाभ दिए जाने पर राज्य सरकार पर सालाना 815 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसी प्रकार वेतन वृद्धि से सालाना 1950 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। कुल 2765 करोड़ अतिरिक्त खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इच्छा थी कि शिक्षकों को वेतन वृद्धि का लाभ इसी वित्तीय वर्ष से दिया जाए। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति अभी ऐसी नहीं है। इस कारण इसका लाभ अगले वित्तीय वर्ष से दिया जाएगा। इस साल पहले चार महीने में राज्य सरकार के राजस्व में 33 प्रतिशत की कमी आई है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति में एक साल तक अतिथि शिक्षक के रूप में कार्य करने वाले को मेधा अंक में पांच अंकों का वेटेज मिलेगा। ऐसे चार हजार शिक्षक अभी हैं। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त शिक्षकों का वेतन भी अब अन्य के साथ में जाएगा, तऋकि समय पर वेतन भुगतान हो।