भारतीय लोकतंत्र वैश्विक आबादी के लिए अच्छा : राहुल गांधी

राष्ट्रीय
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लंदन, 21 मई (ए) कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र वैश्विक आबादी के लिए अच्छा है और हमारे ग्रह के केंद्रीय आधार के रूप में काम करता है। उन्होंने आगाह किया कि अगर भारतीय लोकतंत्र में दरार आती है तो इससे हमारे ग्रह के लिए समस्याएं खड़ी होंगी।

राहुल ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत में शासन के दो अलग स्वरूप चल रहे हैं, एक जो आवाजों को दबाता है और दूसरा जो उन्हें सुनता है।

ब्रिटेन दौरे पर गए राहुल ने गैर-लाभकारी थिंकटैंक ‘ब्रिज इंडिया’ द्वारा शुक्रवार को आयोजित ‘आइडियाज फॉर इंडिया’ सम्मेलन में एक संवाद सत्र के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने सामूहिक कार्रवाई के लिए अपनी पार्टी के दृष्टिकोण को भी स्पष्ट किया, जिसके चलते देश के लिए कुछ ‘सुंदर’ होगा।

राहुल ने मौजूदा शासन पर देश को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस की विचारधारा इससे लड़ने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा, “कृपया समझें, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का काम शोर मचाना और आवाजें दबाना है। जबकि, हम सुनते हैं। ये दो अलग चीजें हैं, ये दो अलग डिजाइन हैं।”

सम्मेलन में राहुल के साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव और तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा जैसे विपक्षी नेताओं ने भी हिस्सा लिया।

इस मौके पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने चेताया कि पूरे देश में केरोसीन (मिट्टी का तेल) फैला हुआ है और आग लगाने के लिए बस एक चिंगारी की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “एक कार्यकर्ता से कहा जाता है कि आप यह कहेंगे और कुछ नहीं। यह कार्यकर्ता लोगों के गले के नीचे खास तरह के विचारों को उतारने के लिए तैयार किया गया है, फिर चाहे वह कम्युनिस्ट विचारधारा हो या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सोच।”

राहुल ने आगे कहा, “हमारा कार्यकर्ता इस तरह से तैयार नहीं किया गया है। हमें भारत के लोगों की आवाज सुनने, उनके विचारों को बाहर निकालने और उसे सामने रखने के लिए तैयार किया गया है।”

उन्होंने कहा, “भारत में लोकतंत्र वैश्विक आबादी के लिए अच्छा है। यह ग्रह के एक केंद्रीय आधार के रूप में काम करता है। क्योंकि हम अकेले ऐसे लोग हैं, जो इतने बड़े पैमाने पर लोकतंत्र का प्रबंधन करने में सफल रहे हैं। अगर भारतीय लोकतंत्र में दरार आती है तो ग्रह के लिए समस्या पैदा होंगी।”

कांग्रेस पार्टी ने राहुल के हवाले से कहा, “हमारा मानना ​​है कि भारत अपने लोगों को बांधने वाली एक डोर है, जबकि भाजपा और आरएसएस का मानना ​​है कि भारत एक भौगोलिक स्थान है, यह एक ‘सोने की चिड़िया’ है, जिसका लाभ चंद लोगों में बंटना चाहिए। हमारा मानना ​​है कि लाभ तक सभी को समान पहुंच मिलनी चाहिए।”

रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने इसकी तुलना भारत में चीन की गतिविधियों से की।

उन्होंने कहा, “रूसी यूक्रेन से कहते हैं कि हम आपकी क्षेत्रीय अखंडता को मान्यता देने से इनकार करते हैं। हम यह मानने से इनकार करते हैं कि ये दोनों जिले यूक्रेन के हैं। और हम इन दो जिलों में आप पर हमला करने जा रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप नाटो के साथ गठबंधन तोड़ दें।”

राहुल ने कहा, “कृपया महसूस करें कि यूक्रेन में जो हो रहा है और लद्दाख व डोकलाम में जो हो रहा है, उसमें काफी समानताएं हैं।”

उन्होंने कहा, “डोकलाम में मौजूद चीनी बलों को अरुणाचल प्रदेश, जबकि लद्दाख में तैनात बलों को लद्दाख के लिए तैयार किया गया है। वहां भी समान सिद्धांत लागू किया जा रहा है। चीनी कह रहे हैं कि हम क्षेत्र पर आपके अधिकार को स्वीकार नहीं करते हैं। हां, हम अमेरिका के साथ आपके संबंधों को मान्यता देते हैं।”

कांग्रेस नेता ने कहा, “तो हमें समझना होगा कि सीमा पर समस्या है और हमें पसंद हो या न हो, उस समस्या से निपटने की तैयारी करनी होगी। क्योंकि हम अपने क्षेत्र पर अवैध कब्जा नहीं चाहते।”

उन्होंने केंद्र सरकार पर चर्चा की अनुमति न देने का आरोप लगाया।

राहुल ने कहा, “चीनी बल आज भारत के अंदर बैठे हैं। उन्होंने पैंगोंग झील के ऊपर एक बड़ा पुल बना लिया है। वे बुनियादी ढांचे का विकास कर रहे हैं। वे निश्चित तौर पर किसी चीज की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन सरकार इसके बारे में बात नहीं करना चाहती है। सरकार चर्चा को दबाना चाहती है। यह भारत के लिए अच्छा नहीं है।”

पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच दो साल से अधिक समय से जारी गतिरोध के बीच इस पुल का निर्माण किए जाने की खबरें हैं।

चीनी निर्माण से परिचित लोगों ने बुधवार को कहा था कि नया पुल वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 20 किलोमीटर से अधिक दूर क्षेत्र में बनाया जा रहा है।

भारत ने शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन द्वारा दूसरा पुल बनाए जाने का कड़ा विरोध किया था। नयी दिल्ली ने कहा था कि यह पुल उस क्षेत्र में बनाया जा रहा है, जो लगभग 60 वर्षों से उस देश के ‘अवैध कब्जे’ में है।