रायपुर, 27 सितंबर (ए) केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा किए गए ‘भारत बंद’ का छत्तीसगढ़ में मिला-जुला असर रहा। राज्य के प्रमुख शहरों में अधिकतर दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले रहे।
राजधानी रायपुर में अधिकतर दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान दिनभर खुले रहे तथा सार्वजनिक परिवहन का संचालन प्रभावित नहीं हुआ। हालांकि आंदोलनकारियों ने कुछ स्थानों पर दुकान मालिकों से दुकान बंद कर उनसे समर्थन मांगा।
राज्य के बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, दुर्ग और राजनांदगांव सहित अन्य प्रमुख जिलों में भी बंद का मिला-जुला असर रहा।
अपनी मांगों को लेकर किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं ने राज्य के अलग-अलग स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया और कई जगहों पर सड़कों को कुछ देर के लिए जाम कर दिया।
राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बंद शांतिपूर्ण रहा तथा राज्य के किसी भी हिस्से से अब तक किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है।
प्रदेश के सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने बंद को समर्थन दिया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को ट्वीट कर कहा, ‘न जाने चली गयी कितनों की जान काले कानूनों की आफ़त में, कभी तो होगा हिसाब इसका काल की अदालत में। मैं शांतिपूर्ण भारत बंद का समर्थन करता हूँ। किसान भूपेश बघेल अपने किसान भाइयों के साथ है।’ छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने दावा किया कि राज्य में बंद का व्यापक प्रभाव रहा और बस्तर से लेकर सरगुजा तक मजदूर, किसान तथा आम जनता सड़कों पर उतरी।
किसान नेताओं ने कहा कि राज्य में अनेक स्थानों पर धरना प्रदर्शन तथा चक्का जाम किया गया और साथ ही राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपे गए।
उन्होंने बताया कि राज्य के राजनांदगांव, दुर्ग, रायपुर, गरियाबंद, धमतरी, कांकेर, बस्तर, बीजापुर, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर, रायगढ़, सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया और मरवाही सहित 20 से ज्यादा जिलों में किसानों ने आंदोलन किया।
किसान नेताओं ने कहा कि उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि कानून वापस नहीं लिए जाते और ‘‘देश को बेचने वाली नीतियों को त्यागा नहीं जाता।’’ वहीं, राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि कांग्रेस के समर्थन के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा का भारत बंद छत्तीसगढ़ में असफल हो गया।
भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश प्रभारी संदीप शर्मा ने एक बयान जारी कर कहा कि किसान आंदोलन चला रहे राकेश टिकैत पहले देश को यह बताएं कि कृषि कानून में क्या खामियां हैं।
शर्मा ने कहा कि किसान आंदोलन के नाम पर पिछले कई महीनों से ‘‘ड्रामेबाजी’’ की जा रही है और पर्दे के पीछे इस आंदोलन में कांग्रेस पूरी तरह संलिप्त है।
उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस के समर्थन के बावजूद छत्तीसगढ़ में बंद असफल रहा और यह साफ इशारा करता है कि छत्तीसगढ़ के किसान कांग्रेस और उसके छुपे हुए एजेंडे को पहचान गए हैं तथा उसे अपना समर्थन नहीं दे रहे हैं।