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मणिपुर में उग्रवादियों ने तीन लोगों की हत्या की, कर्फ्यू में ढील की अवधि घटाई गई

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इंफाल, पांच अगस्त (ए) मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में शुक्रवार देर रात उग्रवादियों ने पिता-पुत्र समेत तीन लोगों की हत्या कर दी।.

पुलिस ने शनिवार सुबह बताया कि जिले के क्वाक्टा इलाके में तीनों लोगों को सोते समय गोलियां मारी गईं और फिर उन पर तलवार से हमला किया गया।.

पुलिस ने बताया कि 27 विधानसभा क्षेत्रों की समन्वय समिति द्वारा आहूत 24 घंटे की आम हड़ताल से इंफाल घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।

पुलिस ने कहा कि शनिवार सुबह जिले के क्वाक्टा में तीनों व्यक्तियों को सोते समय गोली मारी गई और बाद में अज्ञात व्यक्तियों द्वारा उनके शवों पर तलवार से हमला किया गया। पुलिस ने कहा कि हमलावर चुराचांदपुर से आए थे।

पुलिस ने कहा, ‘‘तीनों व्यक्ति एक राहत शिविर में रहते थे लेकिन स्थिति में सुधार होने के बाद शुक्रवार को क्वाक्टा स्थित अपने आवास पर लौट आए थे।’’

पुलिस के अनुसार, घटना के तुरंत बाद गुस्साई भीड़ क्वाक्टा में जमा हो गई और चुराचांदपुर की तरफ बढ़ने लगी, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उसे रोक दिया।

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि हत्याओं के प्रतिशोध में भीड़ ने बिष्णुपुर जिले के उखा तम्पक में कई घरों को जला दिया।

पुलिस ने कहा कि एक अन्य घटना में, शनिवार सुबह क्वाक्टा के पास राज्य बलों और उग्रवादियों के बीच भारी गोलीबारी में एक पुलिसकर्मी सहित तीन लोग घायल हो गए। उन्होंने कहा, ‘पुलिसकर्मी के चेहरे पर छर्रे लगे हैं। तीनों को इलाज के लिए इंफाल के राज मेडिसिटी ले जाया गया। वे खतरे से बाहर हैं।’

इंफाल घाटी में, महिला प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आईं और वाहनों की आवाजाही को अवरुद्ध करने के लिए टायर जलाए।

हिंसा के मद्देनजर जिला प्रशासन ने इम्फाल के दोनों जिलों में सुबह 10.30 बजे से कर्फ्यू लगा दिया।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इंफाल के दोनों जिलों में कर्फ्यू में ढील का समय घटाकर सुबह पांच से साढ़े दस बजे तक कर दिया गया है। पहले यह ढील सुबह पांच बजे से शाम छह बजे तक लागू थी।’’

एक बयान में, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने राज्य सरकार से हिंसा को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में सवाल किया।

उसने कहा, ‘‘आईटीएलएफ यह जानना चाहेगा कि भीड़ द्वारा बंदूक और गोला-बारूद की लगातार लूट से उत्पन्न सुरक्षा खतरे से निपटने के लिए सरकारी एजेंसियां क्या कर रही हैं और सुरक्षा बल मणिपुर में जातीय संघर्ष के तीन महीने बाद भी सरकारी हथियारों की सुरक्षा करने में असमर्थ क्यों हैं।’’

फोरम के अनुसार, मई में इम्फाल और आसपास की घाटी में भीड़ द्वारा विभिन्न पुलिस थानों और शस्त्रागारों से 4,000 से अधिक हथियार और लाखों कारतूस ‘लूटे गए।’’

इसमें कहा गया है कि यदि केंद्र सरकार और सुरक्षा बल इतनी बड़ी मात्रा में हथियारों के प्रसार से उत्पन्न जोखिम का संज्ञान नहीं लेते हैं और हथियारों को वापस लाने के लिए कार्रवाई नहीं करते हैं, तो ‘‘हमें डर है कि मणिपुर में उस तरह का खून-खराबा हो सकता है, जिस तरह का देश में दशकों से नहीं देखा गया है.इस बीच, मणिपुर में 27 विधानसभा क्षेत्रों की समन्वय समिति द्वारा शनिवार को बुलाई गई 24 घंटे की आम हड़ताल से इम्फाल घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ और लगभग सभी इलाकों में बाजार और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे।

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