नयी दिल्ली: 19 सितंबर (ए) यहां की एक अदालत ने कई अवसर दिए जाने के बावजूद मामला दर्ज कराने वाली महिला के पेश नहीं होने पर उसके पति और तीन अन्य ससुरालियों को दहेज के लिए उस पर अत्याचार करने के आरोप से बरी कर दिया।
अदालत ने गया कि दिल्ली पुलिस की जांच में भी आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला।न्यायिक मजिस्ट्रेट करुणा उस महिला के पति और तीन ससुराल वालों के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थीं, जिनके विरुद्ध मोती नगर पुलिस थाने ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए (पति या उसके रिश्तेदार द्वारा एक विवाहित महिला के साथ क्रूरता करना) और और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
हाल के एक आदेश में, अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोपियों के खिलाफ दहेज की मांग को लेकर उसके साथ क्रूरता करने और उसके ‘स्त्रीधन’ का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था।
हिंदू कानून के तहत स्त्रीधन में सभी चल, अचल संपत्ति, उपहार आदि शामिल हैं जो एक महिला को उसकी शादी से पहले, शादी के समय, बच्चे के जन्म और विधवा होने पर मिलती है।
अदालत ने कहा, ‘‘शिकायतकर्ता और अन्य गवाहों ने पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद अदालत के सामने पेश नहीं होने का फैसला किया और अदालत के समक्ष उनसे कभी पूछताछ नहीं की गई। इसके मद्देनजर शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप अप्रमाणित हैं।’’