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राउत ने शरद पवार को संसदीय राजनीति का ‘भीष्म पितामह’ बताया

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मुंबई: छह नवंबर (ए) शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार को संसदीय राजनीति का ‘भीष्म पितामह’ बताया और सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की उनकी किसी भी योजना को अस्वीकार कर दिया।

राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि वर्तमान में पवार (83) जितना संसदीय अनुभव वाला कोई भी भारतीय नेता नहीं है। पवार लगभग 60 वर्षों से चुनावी राजनीति में हैं। उन्होंने खुलासा किया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ने उनके समक्ष भी यह इच्छा (सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की) व्यक्त की थी।शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि वे इस बात को अपने दिमाग में न लाएं। यहां उम्र नहीं बल्कि अनुभव मायने रखता है। संसदीय राजनीति में उनका होना एक मार्गदर्शक और प्रकाश स्तंभ की तरह है।’’राउत ने कहा, ‘‘उन्होंने पहले भी सार्वजनिक तौर पर यह (संन्यास) कहा है। उनका विशाल अनुभव राजनीति में नए लोगों को लाभ पहुंचाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि वह पिछले कुछ समय से दुखी हैं। उन्होंने देखा है कि दिल्ली के नेताओं ने महाराष्ट्र और देश में किस तरह की राजनीति की है, फिर भी यह स्तंभ अभी भी मजबूती से खड़ा है।’’उन्होंने 83 वर्षीय नेता को भारतीय राजनीति का ‘भीष्म पितामह’ करार दिया।

राउत और पवार दोनों ही राज्यसभा के सदस्य हैं और उनके दल महाराष्ट्र में विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) और राष्ट्रीय स्तर पर ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक हैं।

राउत ने कहा कि देश को अभी भी पवार जैसे ‘कमांडर’ की जरूरत है, जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री (रक्षा और कृषि) और महाराष्ट्र क्रिकेट संघ (एमसीए), भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) जैसे क्रिकेट निकायों के प्रमुख के रूप में कार्य किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘आपको (पवार) दृढ़ रहना चाहिए और हमारे जैसे लोगों को लड़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हमें महाराष्ट्र और भारत को बचाना है और हमें उनके जैसे ‘कमांडर’ की आवश्यकता होगी।’’

संसदीय राजनीति से संन्यास का संकेत देते हुए पवार ने मंगलवार को कहा कि उन्हें इस बारे में सोचना होगा कि 2026 में उनका वर्तमान कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें राज्यसभा के लिए एक और कार्यकाल मांगना चाहिए या नहीं।

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