अलवर, 17 दिसम्बर (ए)। हमारे समाज मे गुरु को भगवान से भी ऊंचा स्थान दिया गया है लेकिन कुछ शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने गुरु शिष्य के इस पवित्र रिश्ते को कलंकित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मामला राजस्थान के अलवर जिले का है। यहां राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रायसराना के एक शिक्षक द्वारा एक साल से छात्राओं से अश्लीलता किए जाने का शर्मनाक मामला सामने आया है
शिक्षक छात्राओं को अकेले कमरे में बुलाता था। फेल करने की धमकी दे शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डालता था । छात्राओं ने शिकायत भी की, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने सब जानते हुए भी कठोर कदम न उठा कर शिकायतों को आगे भेज खानापूर्ति कर ली। बुधवार को संभागीय आयुक्त के निर्देश पर शिक्षा विभाग के एसीबीईओ निरीक्षण करने पहुंचे तो, प्रताड़ित बच्चियों ने शिक्षक की एक-एक हरकत रोते हुए बयां की। मौके पर ही मौजूद आरोपी 46 वर्षीय शिक्षक से जवाब देते नहीं बना। सकते में आए विभाग के अधिकारियों ने छात्राओं को कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन लिखित बयानों के बावजूद शिक्षक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
मामले में अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी राजकुमार यादव का कहना है कि रायसराना में विद्यालय के निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों एवं कक्षा 12वीं की छात्राओं ने लिखित में शिक्षक देवप्रकाश यादव के खिलाफ शिकायत दी है। तथ्यात्मक रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को कार्रवाई के लिए भेज दी है।
इधर, ग्रामीणों में स्कूल के हालात सामने आने पर आक्रोश व्याप्त हो गया है। ग्रामीणों ने शिक्षक पर सख्त कार्रवाई और एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है। मामले में आरोपी शिक्षक से बात करने के प्रयास किए गए, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
एसीबीईओ राजकुमार यादव ने मामला सामने आने के बाद बालिकाओं और उनकी कक्षा के छात्रों को बुलाकर पूछताछ की। मगर शिक्षक जो बोलता था, उन शब्दों को दोहराने से छात्र भी हिचकिचाते रहे। लाख भरोसा देने के बावजूद बच्चों ने अपने मुंह से उन अश्लील टिप्पणियों को नहीं दोहराया। बच्चों की मनोस्थिति समझ एसीबीईओ ने लिखित में बच्चों से जानकारी मांगी। तब जो पढ़ने को मिला उसने स्कूल के माहौल का सच सामने ला दिया। बच्चियों ने लिखा- सर के पास कॉपी चेक कराने जाते हैं तो (शब्द लिखने लायक नहीं)।
घटनाक्रम सामने आने के बाद पड़ताल की गई तो पता चला कि पूरा स्टाफ और प्रिंसिपल व्याख्यात की हरकतों से वाकिफ थे, लेकिन किसी जिम्मेदारी नहीं निभाई। पहले हुई शिकायत में छात्र-छात्राओं ने मौखिक ही सब बताया। इसके बाद शिक्षक ने उन्हें फेल करने और भविष्य बर्बाद करने की धमकी दी।बच्चे डर गए और तब कुछ लिखकर नहीं दिया।
बच्चों में भरोसे की इस कमी को दूर करने के बजाय अधिकारियों ने लिखित शिकायत नहीं होने के तर्क से शिक्षक को बचाने का काम किया। बड़ा सवाल ये है कि स्कूल में बच्चे कुछ भी सहते रहेंगे? क्या वे लिखकर नहीं देंगे तो उनकी बात मानी नहीं जाएगी? ऐसे वे किस पर भरोसा कर पाएंगे।