कोलकाता: 15 जुलाई (ए) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को अपने इस बयान पर दृढ़ता से कायम रहीं कि महिलाओं ने कोलकाता में राजभवन में जाने को लेकर भय जताया था।
ममता ने मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के अन्य नेताओं के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे में एक अंतरिम आदेश के लिए राज्यपाल सी वी आनंद बोस की ओर से कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष दाखिल याचिका का विरोध भी किया।ममता के वकील एसएन मुखर्जी ने न्यायमूर्ति कृष्ण राव के समक्ष दलील दी कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी सार्वजनिक हित के मुद्दों पर एक निष्पक्ष टिप्पणी थी और यह मानहानिकारक नहीं थी
मुख्यमंत्री के अपने बयान पर कायम रहने की बात कहते हुए मुखर्जी ने दलील दी कि उन्होंने केवल राजभवन में कुछ कथित गतिविधियों पर महिलाओं की आशंकाओं को प्रतिध्वनित किया था।
मुखर्जी ने कहा कि वह हलफनामे में उन महिलाओं के नाम बताने को तैयार हैं, जिन्होंने ऐसी आशंका जाहिर की है।
दो मई को राजभवन में कार्यरत एक संविदा महिला कर्मचारी ने बोस के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने मामले की जांच शुरू की थी।
संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत किसी राज्यपाल के खिलाफ उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है।