नयी दिल्ली: 22 अप्रैल (ए)।
आयोग के सूत्रों ने कहा कि इस तरह के दावों से राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों की बदनामी होती है और चुनावों के दौरान अथक एवं पारदर्शी तरीके से काम करने वाले लाखों चुनाव कर्मचारियों का मनोबल गिरता है।
सूत्रों का कहना है कि मतदाताओं द्वारा किसी भी प्रतिकूल फैसले के बाद, यह कहकर चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश करना पूरी तरह से बेतुका है कि समझौता किया गया है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बीते 20 अप्रैल को अमेरिका के बोस्टन शहर में एक संवाद कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए भारत की चुनावी प्रक्रिया पर एक बार फिर सवाल खड़े किए थे और आरोप लगाया था कि निर्वाचन आयोग की (सरकार के साथ) मिलीभगत है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत की चुनावी प्रणाली में कुछ न कुछ गड़बड़ है।
निर्वाचन आयोग सूत्रों ने रेखांकित किया कि सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान केंद्रों पर पहुंचने वाले 6,40,87,588 (6.40 करोड़) मतदाताओं ने महाराष्ट्र चुनाव में मतदान किया।
उन्होंने बताया कि औसतन प्रति घंटे करीब 58 लाख वोट डाले गए।
उन्होंने बताया कि औसत रुझान के अनुसार, दो घंटों में करीब 1.16 करोड़ मतदाताओं ने मतदान किया होगा।
आयोग के एक पदाधिकारी ने बताया, ‘‘इसलिए, दो घंटों में मतदाताओं द्वारा 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे मतदान के रुझान से काफी कम है।’’
सूत्रों ने कहा कि यह (मतदान) हर मतदान केंद्र पर उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त किए गए मतदान एजेंट की मौजूदगी में हुआ।
उनका कहना है कि कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंट ने अगले दिन निर्वाचन अधिकारियों और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष जांच के समय किसी भी तरह के असामान्य मतदान के बारे में ‘‘कोई पुष्ट आरोप’’ नहीं लगाया था।
चुनावी आंकड़ों में कथित हेराफेरी के मुद्दे पर, सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र सहित पूरे देशभर में मतदाता सूचियां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की जाती हैं ।