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विदेश में ‘राम नाम बैंक’ खोलने पर विचार कर रहे हैं यूरोप और अमेरिका में रहने वाले हिंदू

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लखनऊ: छह अप्रैल (ए) उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित ‘राम नाम बैंक’ से प्रभावित होकर यूरोप और अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के हिंदू अपने-अपने देशों में इस बैंक की शाखा खोलने पर विचार कर रहे हैं।

रामनवमी के अवसर पर स्वीडन में रविवार को भक्तों के बीच ‘राम नाम बैंक’ खोलने के विचार पर चर्चा हुई।

स्वीडन के अलमहल्ट में एक वैश्विक फर्नीचर रिटेलर कंपनी के लिए काम करने वाले और एक स्थानीय मंदिर के मामलों का प्रबंधन करने वाले आर्किटेक्ट नित्यानंद शर्मा ने कहा कि लोग भगवान राम के नाम का प्रचार करने वाले बैंक के विचार से प्रभावित हुए हैं।

उन्होंने कहा, “भगवान राम का नाम संदेह, भय और चिंता को दूर करने के लिए काफी शक्तिशाली व प्रभावी है। यही कारण है कि प्रयागराज स्थित ‘राम नाम बैंक’ द्वारा प्रचारित एक पुस्तिका में प्रतिदिन 108 बार भगवान का नाम लिखकर दिव्य उपस्थिति को अपनाने की अवधारणा को दुनिया भर में कई लोग अपना रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “अलमहल्ट के अलावा, हम यूरोप में अपने अन्य मित्रों के साथ इस विचार पर काम कर रहे हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो ‘राम नाम बैंक’ की शाखाओं की यूरोप भर में कई जगहों पर खोला जाएगा।”

प्रयागराज में ‘राम नाम बैंक’ एक ‘आध्यात्मिक बैंक’ है, जहां भक्त प्रतिदिन कम से कम 108 बार भगवान राम लिखकर पुस्तिका जमा करते हैं।

प्रयागराज में ‘राम नाम बैंक’ के कामकाज का प्रबंधन करने वाले आशुतोष वार्ष्णेय ने बताया कि बैंक की विशेषता इस तथ्य में निहित है कि इसकी एकमात्र ‘मुद्रा’ भगवान राम हैं।

उन्होंने कहा कि बैंक की शुरुआत मूल रूप से उनके पूर्वजों ने 1870 के दशक में की थी।

आशुतोष ने बताया कि प्रयागराज के अलावा, उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भी ऐसे ‘राम नाम बैंक’ खुल चुके हैं, जिनमें राज्य की राजधानी लखनऊ भी शामिल है।

उन्होंने बताया कि लखनऊ में एक सड़क चौराहे का नाम भी बैंक के नाम पर रखा गया है।

आशुतोष ने बताया कि वाराणसी में राम रमापति बैंक इसी अवधारणा पर काम कर रहा है।नीदरलैंड के रहने वाले हेंक जे केलमैन भी ‘राम नाम बैंक’ की अवधारणा का प्रचार करने में रुचि रखते हैं।

बार्न में रहने वाले और वैष्णव परंपरा के अनुयायी केलमैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “भक्ति योग की वैष्णव परंपरा के अनुसार, भगवान के कई नाम हैं। राम उनमें से एक है। इसलिए राम बैंक का विचार बहुत अच्छा है, जहां आप भगवान के नाम से भरी प्रतियां जमा कर सकते हैं और अच्छे कर्म उत्पन्न कर सकते हैं।”

केलमैन ने कहा कि पश्चिमी दुनिया में भगवान विष्णु और कृष्ण प्रसिद्ध हैं।

उन्होंने कहा, “विनम्रता, सेवा और भक्ति के महत्व को उजागर करने के लिए भगवान राम के नाम का प्रचार करना निश्चित रूप से दिव्यता की अवधारणा में एक स्वागत योग्य अतिरिक्त होगा। मुझे ‘राम नाम बैंक’ परियोजना का पूरा दायरा नहीं पता है, लेकिन मैं और अधिक जानने के लिए इच्छुक हूं।”

अमेरिका में रहने वाली शिवानी सिंह ने कहा कि उन्होंने कैलिफोर्निया में ‘राम नाम बैंक’ की एक शाखा खोलने का भी फैसला किया है।

उन्‍होंने कहा, “मैं इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ गयी थी। अपनी यात्रा से पहले, मुझे पता चला कि भगवान का नाम जपना या लिखना वास्तव में सकारात्मकता पैदा करने में कैसे मदद कर सकता है और इसलिए जब मैं मेला स्थल पर ‘राम नाम बैंक’ गयी, तो मैं तुरंत इस अवधारणा से जुड़ गई।”

शिवानी सिंह ने कहा, “मैंने प्रयागराज के ‘राम बैंक’ से जुड़े लोगों से अनुरोध किया है कि वे हमें इस बारे में मार्गदर्शन दें कि हम इसे कैसे स्थापित करें ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें।”

वाराणसी में राम रमापति बैंक का संचालन करने वाले आशीष मेहरोत्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “लाखों लोग हमारे साथ जुड़े हुए हैं और अब तक भगवान राम का नाम 2,000 करोड़ से अधिक बार लिखा जा चुका है। बैंक लगभग 98 साल पुराना है।”

उन्होंने कहा,“भगवान राम का नाम एक समारोह के दौरान लिखा जाता है, जो 250 दिनों तक जारी रहता है और भक्त प्रतिदिन 500 बार भगवान राम का नाम लिखते हैं। लोग अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए ऐसा करते हैं।”

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