समान नागरिक संहिता पर आगे बढ़ने के लिए सहमति जरूरी: सपा सांसद नदवी

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 18 जुलाई (ए) समाजवादी पार्टी (सपा) के लोकसभा सदस्य मोहिबुल्ला नदवी ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की दिशा में कोई कदम बढ़ाने से पहले सरकार को सहमति बनानी चाहिए और यदि ऐसा नहीं होता है तो वह ‘‘जबरन’’ होगा जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ भी है।

उत्तर प्रदेश के रामपुर से पहली बार सांसद बने और संसद भवन के निकट स्थित जामा मस्जिद के इमाम नदवी ने ‘पीटीआई’ मुख्यालय में समाचार एजेंसी के संपादकों के साथ विशेष बातचीत में यह भी कहा कि भारत के मुस्लिम समुदाय के मुद्दे दूसरे समुदायों के मुद्दों से अलग नहीं है तथा इस लोकसभा चुनाव में जनता ने इस उम्मीद के साथ जनादेश दिया कि भाईचारा बने रहना चाहिए।उनका यह भी कहना था कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और जेल में बंद सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के साथ उनकी कोई दुश्मनी नहीं है तथा इस चुनाव में रामपुर में उन्हें सभी का समर्थन मिला।समान नागरिक संहिता के बारे में पूछे जाने नदवी ने कहा, ‘‘यूसीसी के बारे में संविधान में सबकी सहमति की बात लिखी हुई है। सबकी सहमति होगी, तभी तो उस तरफ बढ़ेंगे। किसी की सहमति नहीं लेंगे तो वह जबरन हो गया। सहमति ही लोकतंत्र की मूल भावना है।’’

यह पूछे जाने कि क्या यूसीसी लागू करने से पहले सहमति बनानी होगी तो सपा सांसद ने कहा, ‘‘बिल्कुल। सहमति पहला कदम है। हमारे देश में अलग-अलग संस्कृति हैं। दक्षिण की अलग संस्कृति है, उत्तर की अलग, पूर्व की अलग और पश्चिम की अलग संस्कृति है। कई भाषाएं हैं। इन सबके बावजूद हमारी एक बड़ी संस्कृति है जो हम सबको समेटे हुए हैं।’’

उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब सत्तापक्ष के कई नेताओं की तरफ से समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग समय-समय पर उठती रही है तथा उत्तराखंड में भाजपा की सरकार ने विधानसभा से इस संबंध में एक विधेयक भी पारित किया है।

नदवी ने एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला को गुजारा-भत्ता देने से संबंधित उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह बहुत पहले का मुद्दा है और अब इसमें कहने के लिए कुछ नहीं है।

यह पूछे जाने पर कि कुछ लोगों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में अल्पसंख्यकों में डर का माहौल था, ऐसे में लोकसभा के चुनाव नतीजों के बाद अब क्या कुछ बदला है तो सपा नेता ने कहा कि सिर्फ अल्पसंख्यकों में नहीं, बल्कि सभी लोगों में डर है।

उन्होंने कहा कि जब कानून लागू करने वालों की नीति एवं नीयत साफ होती है और इंसाफ होता है तो डर खत्म हो जाता है।

नदवी का यह भी कहना था, ‘‘जनता चाहती है कि भाईचारा रहे। यह सबके दिल की आवाज है। देश की सेवा जो लोग कर रहे हैं उनको यह आवाज सुननी चाहिए कि असल मुद्दों से बहुत दिनों तक ध्यान भटका कर नहीं रखा जा सकता।’’

इस सवाल पर कि क्या ‘‘धर्मनिरपेक्ष पार्टियां’’ अब मुसलमानों के मुद्दों को खुलकर उठाएंगी तो नदवी ने कहा कि देश के मुस्लिम समुदाय के मुद्दे दूसरे समुदायों के मुद्दों से अलग नहीं हैं।

सपा नेता ने कहा, ‘‘मुस्लिम समुदाय देश में कोई अलग नहीं है कि उसका कोई अलग सिस्टम हो या अलग इतिहास हो। जो देश का हजारों साल का इतिहास है, वहीं मुस्लिम समुदाय का भी इतिहास है। संविधान सबको बराबरी का हक देता है।’’

नदवी के मुताबिक, अगर किसी आदमी के साथ सड़क पर अन्याय होता है तो वह एक हिंदुस्तानी के साथ होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हो सकता है कि मुस्लिम नेतृत्व में बहुत से लोग इससे सहमत नहीं हों, लेकिन मैं (मुस्लिम समुदाय के लिए) अलग से किसी चीज का कायल और दावेदार नहीं मानता हूं। मैं तो यह कहता हूं कि संविधान में सबको बराबरी का हक है।’’

उन्होंने फिर से इस बात को दोहराया कि इंसाफ और भाईचारा देश में बरकरार रहना चाहिए।

लोकसभा में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की संख्या कम होने से जुड़े सवाल पर नदवी ने कहा कि हालात बदलते रहते हैं और लोग काम करते रहेंगे तो यह संख्या बढ़ेगी।

लोकसभा में ‘जय फलस्तीन’ और ‘जय श्री राम’ के नारों के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था, ‘‘ इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष ने शायद एक समिति बना दी है। उसमें कुछ कहने के लिए नहीं बचा है।’’

रामपुर से ताल्लुक रखने वाले सपा के कद्दावर नेता आजम खान से रिश्तों के बारे में पूछे जाने पर लोकसभा सदस्य ने कहा कि उनकी खान के साथ कोई दुश्मनी नहीं है।

नदवी का कहना था, ‘‘इस चुनाव में सभी का समर्थन मिला, कहीं विरोध नहीं था। मेरी उनसे (आजम) कोई दूरी नहीं है। वह हमारी पार्टी के अजीम नेता हैं।’’

उनका कहना था कि मस्जिद का इमाम होने की वजह से वह सपा के कई नेताओं के संपर्क आए और ऐसे में उनका समाजवादी नजरिये के प्रति झुकाव हुआ, इसलिए सपा में शामिल हुए।

यह पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में सपा और कांग्रेस में मतभेद की कोई स्थिति बन सकती है तो सपा सांसद ने कहा, ‘‘राजनीतिक जीवन में मतभेद चलता रहता है, लेकिन दोनों दलों में वैचारिक तौर पर एकता हुई है और कांग्रेस में भी इस तरह की फिक्र है कि वंचित लोगों को साथ लेकर चला जाए।’’

उन्होंने कहा कि वह अपनी संसदीय जिम्मेदारी के साथ बतौर इमाम धार्मिक जिम्मेदारी भी निभाते रहेंगे तथा रामपुर को एक ‘आदर्श संसदीय क्षेत्र’ बनाने का प्रयास करेंगे।

नदवी ने कहा कि उनका पहला प्रयास रामपुर में एक मेडिकल कॉलेज खुलवाने का है तथा वह शिक्षा एवं सेहत को बुनियाद बनाकर काम करेंगे।

संसद में अपने अनुभव के बारे में पूछे जाने नदवी ने कहा, ‘‘इस बार संसद में 281 लोग नए आए हैं। सब अलग अलग नाम से शपथ लेते हैं। लेकिन अफसोस की बात है कि शपथ लेकर नीचे आते हैं तो वो सब चीजें भूल जाते हैं। कम से कम हम उस पर तो अमल करें जिसके नाम पर शपथ ले रहे हैं। ये चीज मुझे अच्छी नहीं लगी कि हम ऊपर वाले को धोखा दे रहे हैं।’’