नयी दिल्ली: 12 फरवरी (ए) दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को सिख विरोधी दंगों के दौरान सरस्वती विहार इलाके में दो लोगों की हत्या के मामले में बुधवार को दोषी करार दिया।
हत्या का दोषी करार दिए जाने के बाद कुमार को अब अधिकतम मृत्युदंड या कम से कम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आरोपी को दोषी ठहराया जाता है… अगली सुनवाई के दौरान सजा पर फैसला दिया जाएगा।’’
अदालत के विस्तृत आदेश का इंतजार है।
सजा सुनाए जाने के लिए कुमार को तिहाड़ जेल से अदालत में पेश किया गया।
मामला 1 नवंबर 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से संबंधित है। पंजाबी बाग थाने ने शुरू में मामला दर्ज किया था, लेकिन बाद में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जांच का जिम्मा संभाला था।
इस मामले में 16 दिसंबर, 2021 को अदालत ने कुमार के खिलाफ आरोप तय किए थे और उनके खिलाफ ‘‘प्रथम दृष्टया’’ मामला सही पाया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, घातक हथियारों से लैस भीड़ ने बड़े पैमाने पर लूटपाट एवं आगजनी की थी और सिख समुदाय के लोगों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था ।
इस मामले में जसवंत सिंह की पत्नी ने शिकायत दर्ज कराई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार भीड़ ने घर में घुसकर सिंह एवं उनके बेटे की हत्या कर दी थी और सामान लूटकर घर को आग के हवाले कर दिया था।
कुमार पर मुकदमा चलाते हुए अदालत ने कहा था कि ‘‘प्रथम दृष्टया यह मानने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि वह न केवल एक भागीदार थे, बल्कि उन्होंने भीड़ का नेतृत्व भी किया था।’’
हिंसा और उसके बाद की घटनाओं की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, दंगों के संबंध में दिल्ली में 587 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। दंगों में 2733 लोगों की हत्या हुई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, सुराग नहीं लगने पर लगभग 240 प्राथमिकी को पुलिस ने बंद कर दिया और 250 मामलों में लोगों को बरी कर दिया गया। 587 प्राथमिकी में से केवल 28 मामलों में ही दोषसिद्धि हुई, जिसमें लगभग 400 लोगों को दोषी ठहराया गया। कुमार सहित लगभग 50 लोगों को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया।
दंगों के समय कांग्रेस के प्रभावशाली नेता और सांसद रहे कुमार पर एक और दो नवंबर 1984 को दिल्ली की पालम कॉलोनी में पांच लोगों की हत्या के मामले में आरोप लगाया गया था। इस मामले में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपील उच्चतम न्यायालय में लंबित है।