दिल्ली, 28 सितंबर (ए) केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा कि पिछले साल 31 दिसंबर तक केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा कुल 678 मामलों की जांच की जा रही थी, जिनमें 25 मामले ऐसे हैं जिनकी जांच पांच वर्षों से भी अधिक समय से चल रही है।
आमतौर पर सीबीआई किसी मामले जांच पूरी करने में एक साल का समय लेती है।
सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘मामले की जांच पूरी होने का तात्पर्य संबंधित प्राधिकार से मंजूरी मिलने के बाद अदालतों में आरोप पत्र दाखिल करने से होता है। आयोग ने पाया है कि कुछ मामलों की जांच पूरी होने में कुछ विलंब हुआ है।’’
सीवीसी की यह रिपोर्ट हाल ही में संपन्न मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश की गई और यह रिपोर्ट रविवार को आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की गई।
इस रिपोर्ट में सीवीसी ने कहा कि सीबीआई के पास जांच के लिए लंबित इन 678 मामलों में से 268 मामलों में जांच एक साल से कम समय से लंबित हैं तो 177 मामलों की जांच दो साल से अधिक समय से लंबित है। इसके अलावा 86 मामलों की जांच तीन साल से अधिक समय और 25 मामलों की जांच पांच साल से अधिक समय से लंबित है।
भ्रष्टाचार के मामलों की सीबीआई जांच की निगरानी करने वाली संस्था सीवीसी ने कहा कि जांच में विलंब के कारणों में इस जांच एजेंसी के पास मानव संसाधन का अभाव और कुछ संबंधित प्राधिकारों से अभियोजन के जिए मंजूरी मिलने में देरी शामिल है।
आयोग ने इस बात पर चिंता जताई कि विभिन्न अदालतों में सुनवाई के लिए लंबित मामलों के निस्तारण में धीमी प्रगति हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भ्रष्टाचार से संबंधित 6,226 मामलों की सुनवाई लंबित है और इनमें से 182 मामलों की सुनवाई तो 20 साल से भी अधिक समय से चल रही