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सुशासन की पहली शर्त है कानून का राज : योगी

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लखनऊ: 13 जुलाई (ए) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि सुशासन की पहली शर्त कानून का राज है और समय पर न्याय देने के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञ भी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।

राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “सुशासन की पहली शर्त कानून का राज है और हर व्यक्ति इस तंत्र को पसंद करता है। समय पर न्याय देने के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञ भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। भारत को आज कानून के राज के लिए जाना जाता है।”योगी ने कहा, “यह लोगों की धारणा, देश की धारणा और विश्व की धारणा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस विश्वविद्यालय ने सही मार्ग पर कदम बढ़ाया है।”

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ के साथ विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की।

योगी आदित्यनाथ ने कहा, “यह देखकर प्रसन्नता होती है कि कई डिग्रीधारक न्यायिक क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर जाकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह बताता है कि विश्वविद्यालय सही दिशा में जा रहा है।”

विश्वास के महत्व पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “एक आम आदमी आशा के साथ आपके पास आता है। हम देखते हैं कि जब लोग पारिवारिक विवाद के साथ आते हैं तो वे किसी की नहीं सुनते, लेकिन वकील जहां भी कहता है, आंख मूंदकर हस्ताक्षर कर देते हैं क्योंकि उनका उस वकील में विश्वास है। यह विश्वास आपकी सबसे बड़ी संपत्ति है और यह विश्वास बार और बेंच दोनों पर बना रहना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि इस विश्वास को बनाए रखना हम सभी के लिए सबसे बड़ी चुनौती रही है क्योंकि बदलते वातावरण में लोगों की जरूरतें, तरीके, प्रौद्योगिकी आदि लोगों और इस व्यवस्था को बदल रही है।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, “हमें यह निर्णय करना है कि बदलाव का मार्ग क्या होना चाहिए। क्या यह सकारात्मक हो या नकारात्मक। यदि आपका मार्ग सकारात्मक है तो आपका मार्ग ना केवल न्यायिक क्षेत्र में, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में बहुत उज्ज्वल होगा। यदि रास्ता नकारात्मक है तो तो यह ना तो आपके व्यक्तिगत हित में और ना ही समाज के हित में होगा।”

इस अवसर पर, भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अमर पाल सिंह मौजूद थे।

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