हैदराबाद, 12 नवंबर (ए) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शुक्रवार को कहा कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के अलावा, पाकिस्तान, चीन, म्यांमा और बांग्लादेश जैसे देशों से लगती भारत की 15,000 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा के प्रबंधन में भी पुलिस बलों की बड़ी भूमिका है।
सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में भारतीय पुलिस सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के 73वें बैच की पासिंग आउट परेड को संबोधित कर रहे डोभाल ने कहा कि भारत की संप्रभुता तटीय क्षेत्रों से लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों तक अंतिम पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र तक जाती है।
डोभाल के बयान से एक दिन पहले ही पंजाब विधानसभा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने वाली केंद्र की अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि यह राज्य पुलिस का अपमान है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार ने पिछले महीने बीएसएफ अधिनियम में संशोधन कर उसे पंजाब, पश्चिम बंगाल तथा असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे में तलाशी लेने, जब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार प्रदान किया। इस समय यह दायरा 15 किलोमीटर तक है।
डोभाल ने कहा कि भारत के 32 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के हर हिस्से में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस बलों की है। उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ वही पुलिसिंग ही नहीं है जिसमें आप लोगों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया है बल्कि इसका भी विस्तार होगा। आप इस देश के सीमा प्रबंधन के लिए भी जिम्मेदार होंगे। पंद्रह हजार किलोमीटर की सीमा है, जिसमें से ज्यादातर हिस्से की अपनी ही तरह की समस्याएं हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान के साथ, चीन या म्यांमा या बांग्लादेश के साथ एक सीमा है। हमारे पास विभिन्न प्रकार के सुरक्षा संबंधी मुद्दे हैं जिन्हें इन सीमाओं की निगरानी कर रहे केंद्रीय पुलिस संगठन और पुलिस के जवान देखते हैं।’’
डोभाल ने कहा, ‘‘यदि आंतरिक सुरक्षा विफल होती है तो कोई देश महान नहीं बन सकता। अगर लोग सुरक्षित नहीं हैं तो वे आगे नहीं बढ़ सकते और संभवत: देश भी कभी आगे नहीं बढ़ेगा।’’
उनके मुताबिक, देश में पुलिस बल की संख्या 21 लाख है और अभी तक 35,480 कर्मियों ने बलिदान दिया है। डोभाल ने किसी घटना विशेष का उल्लेख किये बिना कहा, ‘‘हम भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के उन 40 अधिकारियों को भी याद करना चाहेंगे जो शहीद हो गए।’’
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि भारत अपनी आजादी के 100वें वर्ष की ओर बढ़ते हुए एक नये कालखंड में प्रवेश करेगा और अपनी अनेक उपलब्धियों के लिए जाना जाएगा। वह दुनिया के अग्रणी राष्ट्रों में शामिल होगा।
डोभाल ने कहा कि लोकतंत्र का मर्म मतपेटी में नहीं बल्कि कानूनों में निहित होता है जो निर्वाचन प्रक्रिया से चुने गए लोगों द्वारा बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जहां कानून प्रवर्तक कमजोर, भ्रष्ट और पक्षपातपूर्ण हैं वहां लोग सुरक्षित महसूस नहीं कर सकते।’’
डोभाल ने कहा कि पुलिस को अन्य संस्थानों के साथ मिलकर काम करना होगा जिसके लिए उन्हें देश की सेवा करने के लिहाज से मानसिक शक्ति की जरूरत है।