नयी दिल्ली, 28 जुलाई (ए) उच्चतम न्यायालय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक का कार्यकाल बढ़ाकर पांच साल करने के लिए संशोधित कानून और केंद्र द्वारा संजय कुमार मिश्रा को एजेंसी के प्रमुख पद पर एक साल के सेवा विस्तार के खिलाफ दायर अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई करने पर सहमत हो गया है।
प्रधान न्यायाधीश एन.वी.रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने तृणमूल कांग्रेस नेता साकेत गोखले द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता बसावा प्रभु पाटिल के जरिये दायर अर्जी स्वीकार कर ली, जिसमें इस मामले पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया गया था।
तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता गोखले के अलावा अन्य ने निदेशक को दिए गए सेवा विस्तार और इस संबंध में कानून में किए गए बदलाव को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस मामले को सुनवाई के लिए कल सूचीबद्ध करेंगे।’’ इस पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं।
इससे पहले 13 जुलाई को मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने अपने वकील के जरिये इस मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था।
इस अर्जी में केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अधिनियम-2021 को चुनौती दी गई है, जो ईडी निदेशक के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने की अनुमति देता है।
केंद्र सरकार ने ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) निदेशकों के कार्यकाल को पांच तक करने के लिए लाए गए अध्यादेश के बाद मिश्रा का कार्यकाल 17 नवंबर 2021 को एक साल के लिए बढ़ाकर 18 नवंबर 2022 तक तक कर दिया।
मिश्रा भारतीय राजस्व सेवा के वर्ष 1984 बैच के अधिकारी हैं। वह आयकर विभाग काडर के अधिकारी हैं।
शीर्ष अदालत ने गत साल आठ सितंबर को गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘कॉमल कॉज’ की याचिका पर दिए गए फैसले में कहा था कि केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम (सीवीसी अधिनियम) की धारा-25 के तहत गठित समिति में कारण दर्ज कराने के बाद ही चल रही जांच पूरी करने के लिए अधिकारी को तार्किक सेवा विस्तार दिया जा सकता है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मिश्रा को और सेवा विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि निदेशक पद पर आसीन व्यक्ति को अल्पकाल के लिए सेवा विस्तार दिया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारी मंशा दूसरे प्रतिवादी (मिश्रा) के सेवा विस्तार में हस्तक्षेप की नहीं है क्योंकि उनका कार्यकाल नवंबर 2021 में समाप्त हो रहा है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि अब दूसरे प्रतिवादी को और सेवा विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए।’’