लखनऊ, 21 सितम्बर (ए)। यूपी में गन्ना मूल्य बकाया यहां हमेशा से मुद्दा रहा है। हालांकि योगी सरकार ने 2020-21 तक का लगभग पूरा भुगतान सुनिश्चित करा दिया है लेकिन प्रदेश की निजी चीनी मिलों पर पेराई सत्र 2021-22 का 3‚964.45 करोड़ रुपये बाकी होने की बात सामने आई तो पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर हमला करने में देर नहीं लगाई। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार है, इसके बावजूद करीब चार हजार करोड़ रुपये किसानों का भुगतान नहीं हुआ और ये लोग किसानों के हितैषी बनने का दावा करते हैं। उन्होंने तंज किया कि मंत्री भुगतान करना चाहते हैं लेकिन इनकी भी सुनवाई नहीं हो रही है।
दरअसल, विधानसभा में मानसून सत्र के तीसरे दिन एक सवाल के जवाब में यूपी के गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण बताया कि पेराई सत्र 2021-22 में निजी क्षेत्र की कुछ चीनी मिलों पर 3‚964.45 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान का बकाया है। सपा मुखिया ने इसी को लेकर सरकार पर हमला बोल दिया। विधानसभा में बुधवार को प्रश्नकाल में समाजवादी पार्टी के सदस्य पंकज मलिक ने चीनी मिलों पर बकाया और भुगतान के बारे में प्रश्न किया था जिसके जवाब में उत्तर प्रदेश में मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने कहा कि प्रदेश की सहकारी चीनी मिलों पर पेराई सत्र 2018–19‚ 2019–20 और 2020–21 का कोई गन्ना मूल्य बकाया नहीं है।
उन्होंने कहा कि सहकारी चीनी मिलों पर सिर्फ पेराई सत्र 2021–22 का 440.67 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य बकाया है। इसी प्रकार प्रदेश की निजी क्षेत्र की चीनी मिलों पर पेराई सत्र 2018–19 और 2019–20 का कोई गन्ना मूल्य बकाया नहीं है। पेराई सत्र 2020–21 का एकमात्र गड़ौरा (महराजगंज) चीनी मिल पर 11.44 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य बकाया है। उन्होंने बताया कि पेराई सत्र 2021–22 का निजी क्षेत्र की चीनी मिलों पर 3‚964.45 करोड़ रुपये का बकाया है।
पूरक प्रश्न में पंकज मलिक और राष्ट्रीय लोकदल के प्रसन्न कुमार ने पूछा कि क्या किसानों को ब्याज सहित भुगतान किया जाएगा और 14 दिन के भीतर जो मिल मालिक भुगतान नहीं कर रहे, उनपर क्या कार्रवाई की जाएगी। इस पर गन्ना मंत्री ने कहा कि अखिलेश यादव की सरकार में ब्याज माफ करने का एक आदेश हुआ था। वह मामला आज भी अदालत में लंबित है। इस पर अखिलेश यादव ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि हमें सरकार से गये साढ़े पांच साल से ज्यादा हो गये हैं। हमने किन परिस्थितियों में इसे माफ किया था, उसे ध्यान में रखे बिना मंत्री बोल रहे हैं। उन्होंने तंज किया कि मंत्री भुगतान करना चाहते हैं लेकिन इनकी भी सुनवाई नहीं हो रही है।